नवरात्रि में दिव्य शक्तियों की प्राप्ति होती है : समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया

कुरुक्षेत्र, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक : श्री दुर्गा देवी मन्दिर पिपली (कुरुक्षेत्र) के पीठाधीश और समर्थगुरू धारा हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि कात्यायनी- माँ दुर्गा का छठा स्वरुप है- माँ कात्यायनी। नवरात्रि का छठा दिन माँ कात्यायनी का है। प्रसिद्ध महर्षि कात्यान ने कठोर तप कर माँ से उनकी पुत्री के रूप में जन्म लेने का वरदान माँगा, ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर माँ पराम्बा ने उनकी इस इच्छा को पूरा किया और ऋषि कात्यान की पुत्री “देवी कात्यायनी” कहलाई। चार भुजा धारी माँ कात्यायनी सिंह पर सवार हैं। अपने एक हाथ में तलवार और दूसरे में अपना प्रिय पुष्प कमल लिये हुए हैं। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है। कात्यायनी साधक को दुश्मनों का संहार करने में सक्षम बनाती है। इनका ध्यान गोधूली बेला में करना होता है। मां कात्यायनी अमोघ फलदायिनी मानी गई हैं। शिक्षा प्राप्ति के क्षेत्र में प्रयासरत भक्तों को माता की अवश्य उपासना करनी चाहिए। मां दुर्गा अपने भक्तों के सारे दुर्गुणों को दूर कर देती है। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती है I
पण्डित राहुल मिश्रा ने वैदिक मन्त्रों से माँ दुर्गा की पूजा -अर्चना करवाई। श्रद्धालु भक्तों ने माँ को लाल रंग की चुन्नियाँ, नारियल ,श्रृंगार का सामान और प्रसाद अर्पण किया गया। मुख्य अतिथि सुनील सैनी और रेखा सैनी को आदरणीय समर्थगुरू सिद्धार्थ द्वारा रचित श्रीमद् भगवदगीता और वात्सल्य प्रज्ञा पुस्तक भेंट की गई।
ट्विटर के माध्यम से आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ ने सन्देश दिया कि बेपरवाही कब घटित होती है? जब तुम्हारी कोई कामना नहीं रहती, जब तुम्हारी कोई अपेक्षा ही नहीं रहती, तो चिंता की क्या बात है, परवाह करने की क्या बात है।
समस्त विश्व कल्याण हेतु माँ दुर्गा का संकीर्तन व श्री दुर्गा चालीसा का पाठ भक्त सुशील तलवाड़, सुमित्रा पाहवा,आशा कवात्रा, सरोज शर्मा सुरेन्द्र कौर ऊषा शर्मा, निशा अरोड़ा,व शिमला धीमान और छोटे बच्चो के साथ सभी भक्तों ने किया। कीर्तन के पश्चात् आरती की गयी और प्रसाद वितरण हुआ।