ब्यूरो चीफ //राहुल कुशवाहा रीवा मध्य प्रदेश…8889284934
संचालक की शिकायत पर एसपी ने लिया संज्ञान, बस डीलर के खिलाफ चोरहटा थाने में एफआईआर दर्ज
मध्यप्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी सूत्र सेवा योजना की बसों की खरीदारी करने वाले संचालक के साथ रीवा में 1.30 करोड़ की धोखाधड़ी हुई है। 7 बसों की राशि लेने के बाद डीलर ने सिर्फ 4 बसें ही दी है। जबकि तीन बसों के लिए कई माह से टाल मटोल किया जा रहा था।
ऐसे में थक हारकर संचालक ने एसपी राकेश सिंह से मामले की शिकायत की। जहां विवेचना करने के बाद चोरहटा पुलिस ने आयशर कंपनी के डीलर एवं सिंह इंटरप्राइजेज के प्रोपाइटर मनोज सिंह निवासी बोदाबाग के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 एवं 420 का अपराध कायम कर लिया गया है।
शिकायतकर्ता रमेश तिवारी निवासी पुष्पराजनगर ने बताया कि सूत्र सेवा योजना के टेंडर हो जाने के बाद मनोज सिंह स्वयं उनके आफिस आए। तब उन्होंने कहा था कि एक बार आयशर की गाड़ी खरीदकर देखिए। हमारे पास सभी गाड़िया तैयार है। जिसे हम तुरंत ही उपलब्ध करा देंगे।
कई बार उनके आफिस आने जाने के बाद बस फाइनल हो गई। तब डीलर के कहने पर 13 जनवरी को 13 लाख रुपए एडवांस दे दिए। कुछ दिन बाद दो बैकों से फाइनेंस कराकर करीब 1 करोड़ 78 लाख रुपए डीलर के खाते में भेजे गए। तब डीलर ने कहा कि गाड़िया बन गई है। लेकिन जब देखने पहुंचे तो पता चला कि सिर्फ 4 गाड़ियों की चेचिस ही आई है।
30 मार्च को देने की थी बात
मनोज सिंह ने कहा कि 30 मार्च तक आपको सभी गाड़ियों को कम्प्लीट कराकर दे देंगे। जबकि दूसरी तरफ लोन की किश्त चालू हो जाने से तनाव बढ़ता गया। मनोज के कहने पर 13 अप्रैल को तीसरी बार 17 लाख रुपए इंदौर में गाड़ी की बॉडी तैयार करने वाले को भी दिए। कुछ दिन बाद मनोज ने फोन उठाना बंद कर दिया। जब आयशर कंपनी से संपर्क किया गया तो चर्चा के बाद चौथी बार 55 लाख फिर जमा कराए। 5 ड्राइवरों को भेज दिया इंदौर
आरोप है कि मनोज सिंह ने दावा किया कि 5 ड्राइवरों को इंदौर भेज दीजिए। वहां पर गाड़ी तैयार है। ऐसे में ड्राइवरों को तैयार कर तय समय में इंदौर भेज दिया गया। जब वहां चालक पहुंचे तो गाड़िया नहीं मिली। ऐसे में चालक खाली हाथ इंदौर से रीवा वापस आ गए। इसके बाद एसपी से शिकायत की गई तो 21 जून 2021 को चार बसें मिली। लेकिन तीन बसों के लिए 6 माह से चक्कर लगा रहा हूं।
दोहरी मार झेल रहा संचालक
सूत्र सेवा के संचालक पीड़ित रमेश तिवारी को दोहरी मार पड़ी है। एक तरफ वह बैंक का कर्जदार हो गया है। वहीं दूसरी तरफ हर माह किश्त की व्यवस्था करनी पड़ती है। उधर सूत्र सेवा के तहत जो अन्य बसों का संचालन करना था, वह भी समय पर नहीं हो पाया है। ऐसे में शासनस्तर से समय पर सेवा न शुरू होने से लगातार पत्र आ रहे है।