दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा अयोजित कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने अनेकों शिक्षाएं दी लेकिन उनके सिद्धांतों, शिक्षाओं को हमने अपने जीवन में धारन किया

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा अयोजित कथा व्यास साध्वी कालिंदी भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने अनेकों शिक्षाएं दी लेकिन उनके सिद्धांतों, शिक्षाओं को हमने अपने जीवन में धारन किया

फिरोजपुर 17 अक्टूबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से आयोजित श्री मद भागवत कथा के पंचम दिवस का शुभारम्भ विधिवत पूजन से हुआ जिसमें श्याम लाल खारीवाल, सतपाल गुप्ता, महेन्द्र सैनी ने परिवार सहित हिस्सा लिया। श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी कालिन्दी भारती जी ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने जीवन काल में हमें अनेकों शिक्षाएं दीं।आज हम भगवान श्री कृष्ण के भक्त तो कहलाते हैं, लेकिन क्या उनके सिद्धांतों को, शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण किया? यदि उनके सिद्धांतों को हमने धारण किया होता तो आज हमारे देश में गौ मां की स्थिति बहुत ही अच्छी होती। वह भारत देश जहां ‘विप्र धेनु सुर संत हित’ भगवान समय-समय पर अवतार धारण करते हैं, उस भारत में आज गाय की इतनी अवहेलना क्यों? इसके पीछे एक ही कारण है कि हम गौ मां की महानता को अभी तक जान ही नहीं पाए। इसलिए आवश्यकता है अपनी गौ संस्कृति को जानने की क्योंकि हमारी गौ संस्कृति दुनिया की श्रेष्ठ संस्कृति है, सबसे महान संस्कृति है।
संस्थान के बारे में बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से गौ मां के संवर्धन व संरक्षण के लिए सराहनीय कदम उठाएं जा रहे हैं। जिसके तहत कामधेनु नाम का एक सामाजिक प्रकल्प चलाया जा रहा है। इस प्रकल्प के अंतर्गत बहुत सी गौशालाओं में भारत की सर्वश्रेष्ठ देसी नस्ल की गौओं का संरक्षण संवर्धन व नस्ल सुधार कार्यक्रम किया जा रहा है।
आगे कंस वध प्रसंग सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि द्वापर युग में तो एक कंस था, जिसका वध भगवान श्री कृष्ण जी ने किया। किंतु आज मन के पीछे लगे अधिकतर मानव कंस की भूमिका बड़ी सहजता से निभा रहे हैं। इस घोर कलिकाल में आज प्रत्येक व्यक्ति का मन काम, क्रोध, लोभ, मोह रूपी विकारों की आग में झुलस रहा है। इसलिए आवश्यकता है भगवान श्री कृष्ण जैसे गुरु की, जो हमारे बुरे मन रूपी कंस को मार कर हमारे जीवन में धर्म की स्थापना कर सकें। धर्म का अर्थ बताते हुए साध्वी जी ने कहा कि धर्म संस्कृत की धृ धातु से निकला है, जिसका अर्थ है धारण करना। उस ईश्वर को जब प्रत्येक मानव ब्रह्मज्ञान के द्वारा अपने अंतःकरण में धारण करेगा तो हमारे समाज में स्वत: शांति व आनंद की लहर दौड़ उठेगी। इसलिए ब्रह्मज्ञान से जुडें। कथा में डॉ संदीप चौहान (आस्था किडनी केयर हॉस्पिटल),नरेन्द्र चांगिया, डॉ कुसुम जैन,डॉ संजय गखड़,किशोर चंद शर्मा, जगदीश सिडाना ने दीप प्रज्ज्वलित कर प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त किया। कथा में पहुंचे सभी गणमान्य जनों ने संस्थान द्वारा आयोजित कथा की भव्यता की प्रशंसा की। पावन आरती में परवीन नागपाल,संजीव दूमडा,अनिल नारंग,हरदीप गोयल, राजकुमार जैन,कमलकान्त जिन्दल,आदि ने हिस्सा लिया। कथा के उपरान्त प्रतिदिन सारी संगत के लिए भंडारे का उचित प्रबन्ध किया जा रहा है।

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