कुरुक्षेत्र के प्रेरणा वृद्धाश्रम में अपनों से ठुकराए वृद्धों के स्वर्गवास के उपरांत भी परिजन नहीं पहुंचते

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

प्रेरणा वृद्धाश्रम में वृद्धों की मृत्यु पर भारतीय परंपराओं के अनुसार विधि विधान से किया जाता है अंतिम संस्कार।
दिवंगत आत्मा के लिए शांति पाठ भी वृद्धाश्रम संचालकों द्वारा किया जाता है।

कुरुक्षेत्र, 29 सितम्बर : वृद्धाश्रम तो हमारे देश में बहुत चल रहे हैं लेकिन जैसा वातावरण, सेवाभाव, समर्पणभाव धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के सुप्रसिद्ध पांच सितारा वृद्धाश्रम के नाम से ख्याति प्राप्त सलारपुर रोड़ पर स्थित प्रेरणा वृद्धाश्रम में नजर आता है, ऐसा कहीं और देखने को नहीं मिलता है। अपने परिजनों एवं रिश्तेदारों से ठुकराए चाहे वृद्धों के जीवित रहते उनकी सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात हो, सम्मान पूर्वक और सुविधापूर्वक जीवन यापन करने के लिए उनकी आवश्यकताओं के बारे में प्रबंध करने की बात हो, प्रेरणा वृद्धाश्रम का कोई मुकाबला नहीं हो सकता है। बात यहीं समाप्त नहीं होती अगर किसी वृद्ध की आश्रम में मृत्यु हो जाती है तो उसका अंतिम संस्कार भी भारतीय परंपराओं के अनुसार विधि विधान से किया जाता है। यह जानकारी देते हुए प्रेरणा वृद्धाश्रम के एक वृद्ध ने बताया कि प्रेरणा वृद्धाश्रम में रह रहे वयोवृद्ध प्रभाकर लाठी का गत 25 सितम्बर को स्वर्गवास हो गया था। उनकी आत्मिक शांति के लिए प्रेरणा डे केयर सेंटर में उनकी आत्मिक शांति के लिए पाठ रखा गया और सभी ने उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रभु से प्रार्थना की। इस अवसर पर उनको मुखाग्नि देने वाले हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व निदेशक डा. विजय दत्त शर्मा ने बताया कि आश्रम में जितने भी वृद्ध रहते हैं उनकी अच्छी प्रकार से देखभाल होती है और भारतीय संस्कृति के अनुकूल 13 दिन पूरे होने के पश्चात वैदिक रीति के अनुसार आश्रम के प्रांगण को शुद्ध करने के लिए एक विद्वान ब्राह्मण द्वारा आश्रम में हवन भी करवाया जाता है। बड़े दुख की बात है कि अंतिम संस्कार के लिए भी उनके परिवार से उनके पुत्र या अन्य कोई परिवार जन नहीं आता है। अगर बात शांति पाठ की की जाए तो वह भी यहां पर पूरे भावनाओं के साथ किया जाता है। प्रभाकर के शांति पाठ में बोलते हुए प्रेरणा के संस्थापक अध्यक्ष जयभगवान सिंगला और उनके साथ वहां पर उपस्थित सभी वृद्धों की आंखें नम हो गई। जब संस्थापक ने उनकी आत्मा की शांति के लिए एक भजन सुनाया भजन के बोल थे- चांदी का बदन सोने को पलंग, अब इससे ज्यादा क्या चाहिए, जी क्या चाहिए। आश्रम में रह रहे सभी वृद्धों ने प्रेरणा के संस्थापक अध्यक्ष जय भगवान सिंगला के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
अपनों से ठुकराए वृद्ध का अंतिम संस्कार करते हुए प्रेरणा वृद्धाश्रम संचालक।

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