पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है: महंत प्रेम गिरि।

पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है: महंत प्रेम गिरि।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

पिहोवा, 18 जनवरी :- श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा पिहोवा में अखिल भारतीय जूना अखाड़ा के संरक्षक श्री महंत हरी गिरी जी महाराज के सानिध्य में पिछले 5 दिनों से चल रहे धार्मिक कार्यक्रम का सोमवार को शिव महापुराण के पाठ के भोग, हवन यज्ञ, संतों के प्रवचन, भगवान शिव का अभिषेक एवं विशाल भंडारे के साथ समापन हुआ। कार्यक्रम का आयोजन श्री महंत गोपाल गिरी के परम शिष्य गौतम भाई मुंबई वाले की ओर से किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से अखिल भारतीय जूना अखाड़ा के संरक्षक श्री महंत प्रेम गिरी, भारत साधु समाज के प्रदेश अध्यक्ष महंत बंसी पुरी, श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा के प्रदेश प्रवक्ता एवं कार्तिकेय मन्दिर के महंत दीपक गिरी, महंत चमन गिरी, महंत लाल गिरी , राष्ट्रीय संत सुरक्षा परिषद साध्वी प्रकोष्ठ की प्रदेशाध्यक्ष एवं श्री गोविन्दानंद आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरी ,षड्दर्शन साधुसमाज के महासचिव महन्त ईश्वर दास व षड्दर्शन साधुसमाज के प्रेस सचिव वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक सहित अनेक उच्च कोटि के संत महात्माओं द्वारा शिरकत की गई। श्री महंत प्रेम गिरी ने श्रद्धालुओं के बीच अपने प्रवचनों की अमृत वर्षा करते हुए कहा कि शिव-जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है। इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्राय सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। किन्तु शिव पुराण में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है। महंत बंसी पुरी जी महाराज ने कहा कि जो इंसान सच्चे मन से शिव पुराण का श्रवण कर उस पर अमल करता है उसकी मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाता है। पंच दशनाम जूना अखाड़ा के प्रदेश प्रवक्ता महंत दीपक गिरी ने कहा कि मानव जीवन धर्मशास्त्रों के बिना बेकार है। इनके अध्ययन व अनुसरण से ही हमारा कल्याण संभव है। इस मौके पर महंत चमन गिरि, महंत लाल गिरि, दत्त गिरि, दिनेशानंद सरस्वती, महेश पुरी, स्वामी खटवांग पुरी, राघवेंद्र गिरि, सिमरण गिरि, कर्मपाल कुश, महंत दीपक प्रकाश, राहुल पंचौली, देवदत्त मौदगिल, भूषण ठेकेदार, हरीश, मोनू शर्मा व शालू सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।
कार्यक्रम में मौजूद महंत प्रेम गिरि व श्रद्धालु।
भंडारे में प्रसाद ग्रहण करते भक्तजन।

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