वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
पानीपत : की बेमानी सी लगती है तेरे बिना जिंदगी मेरी ,,,,,
तेरा ख्याल तेरी सोच तेरी यादें जिंदगी की बुनियादे है मेरी ,,,,
तुझे क्या खबर मेरे दिल की खबर , की कैसे हर पल तड़पती है मोहब्बत मेरी ,,,,,,,,
माना कि अभी मिलन नहीं हुआ तन से तन का ,
पर मेरी रूह ने कभी महसूस नहीं की तेरी रूह से दूरी ,,,,
तुम कभी बात करोगे तो यह कहूंगी तुम कभी मिलोगे तो यह करूंगी ,
यही सोच में डूबी रहती है जिंदगी मेरी ,,,,,
तुमको इतना प्यार करुंगी तुमको वैसे प्यार करूंगी ,,,
ऐसे ही जज्बातों से रोज रूबरू होती है रूह मेरी ,,,,,
अब तो मन भी कहता है हर रोज मुझसे,तुझसे ही है सारी खुशिया मेरी
तेरी अहमियत मेरे मन में की तू जिंदगी है मेरी ।।