भारतीय संस्कृति संपूर्ण समाज में व्याप्त होनी चाहिए : आरावकर

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र को मिली ओवरऑल चैंपियनशिप।
विद्या भारती अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव का समापन।

कुरुक्षेत्र, 20 नवम्बर :- विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान के महामंत्री श्रीराम आरावकर ने कहा कि भारतीय संस्कृति संपूर्ण समाज में व्याप्त होनी चाहिए तभी भारत ज्ञान में रत देश बनेगा और विश्वगुरु कहलाएगा। संस्कृति जीवित रखनी है तो उसका बोध होना अत्यंत आवश्यक है। श्रीराम आरावकर विद्या भारती अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव के समापन अवसर पर मुख्यातिथि के रूप में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्या भारती संस्कृति शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी ने की। इस अवसर पर दो दिन चली प्रतियोगिताओं के परिणाम घोषित किए गए। ओवरऑल चैंपियनशिप विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र को प्रदान की गई। श्रीराम आरावकर ने कहा कि किसी देश का विद्यमान होना अर्थात् उस देश की संस्कृति का रहना है। जिस देश की संस्कृति नष्ट हो जाती है तो उस देश का अस्तित्व ही नष्ट हो जाता है। भारत में भी प्राचीन समय में अनेक आक्रान्तकारी आए और हमारी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास किया, लेकिन भारतीय संस्कृति महान है और आज भी जीवित है। उन्होंने विद्या भारती द्वारा छात्रों को संस्कारयुक्त शिक्षा देने पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा कि इस पुनीत कार्य में विद्या भारती श्रेष्ठ कार्य कर रही है। विद्या भारती के छात्रों को भी इस कार्य में सहभागिता करते हुए अपने साथ अन्य विद्यालयों के छात्रों को जोड़ना चाहिए।उन्होंने छात्र-छात्राओं द्वारा कथा-कथन एवं आशु भाषण में श्रेष्ठ प्रदर्शन करने पर शुभकामनाएं दीं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ. ललित बिहारी गोस्वामी ने कहा कि महोत्सव के समापन के बाद भी उत्साह और उल्लास की भावना निरंतर बनी रहनी चाहिए और आनंद निरंतर बढ़ता रहे, आनंद ही हमारा स्वरूप है। भारतीय सांस्कृतिक चेतना, अध्यात्म विद्या जिसे कहते हैं, उसका लक्ष्य तो आनंद तक पहुंचना ही है, लेकिन वह आनंद कहा मिलेगा, यह शुरू होता है जिज्ञासा से। जिस आनंद की बात हम करते हैं, वह ब्रह्म जिज्ञासा से शुरू होता है। ब्रह्मसूत्र में ब्रह्म की जिज्ञासा है और उपनिषद कोहम की बात करता है और उपनिषद का सार तत्व गीता है। वह भी आत्मस्वरूप के विस्मरण हो जाने के बाद कैसे इस स्मृति को लौटाएं, वह भी ब्रह्म विद्या है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कहा कि महोत्सव का रूप एकता के दर्शन कराने वाला है। 11 क्षेत्रों से जब विद्यार्थी एक दूसरे के साथ मिलकर उनकी भाषा, जीवन शैली से आदान-प्रदान करते हैं तो भारतीयता का भाव स्वतः जाग्रत होता है। पता लगता है कि हमारे धर्म ग्रंथ भी समान हैं, हमारे आदर्श पुरुष राम, कृष्ण, शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोबिंद सिंह आदि सब सांझे हैं। हम कश्मीर में हों या कन्याकुमारी में, हमारे आस्था केंद्र एक ही हैं तो सारे लघु भारत का चित्र ऐसे अवसर पर हमारे सामने उभर कर आया है। अपने देश को जानने तथा एक दूसरे को समझने का इससे अच्छा अवसर और कोई हो भी नहीं सकता। ऐसे अवसरों पर यह अनुभव किया गया है कि भारत की मौलिक एकता अपने सांस्कृतिक स्वरूप में सर्वाधिक अभिव्यक्त हुई है। अतिथियों का परिचय संस्कृति बोध परियोजना के राष्ट्रीय संयोजक दुर्ग सिंह ने कराया। दो दिन चले संस्कृति महोत्सव का वृत्त संस्थान के सह-सचिव वासुदेव प्रजापति ने पढ़ा। निदेशक डॉ. रामेन्द्र सिंह ने कार्यक्रम के अंत में परिणामों की घोषणा की। इस अवसर पर रतनचंद सरदाना, डॉ. सी.डी.एस. कौशल, डॉ. राजेश्वर मिश्र, डॉ. आर. ऋषि आदि अनेक विद्वान एवं आभासी माध्यम से देशभर के छात्र-छात्राएं, शिक्षक, अभिभावक एवं समाज के अन्य लोग जुड़े।
परिणाम इस प्रकार रहे
दो दिन चले अखिल भारतीय संस्कृति महोत्सव में आयोजित प्रतियोगिताओं के परिणामों की घोषणा की गई। इनमें ओवरऑल चैंपियनशिप विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र को प्रदान की गई। अन्य परिणामों में कथा-कथन शिशु वर्ग में सरस्वती विद्या मंदिर, भूली नगर, धनबाद से पीहू कुमारी प्रथम, सनातन धर्म सरस्वती शिशु मंदिर, मिश्राना, लखीमपुर से सूर्यांश शुक्ला द्वितीय एवं सरस्वती शिशु मंदिर, नेहरू नगर, गाजियाबाद से आशीष कुमार तृतीय रहे। कथा-कथन बाल वर्ग में सरस्वती बालिका विद्यालय, सूरजकुंड, गोरखपुर की प्राची मिश्र प्रथम, गीता निकेतन विद्या मंदिर, सेक्टर-3, कुरुक्षेत्र की मोहिता द्वितीय, ल.प्र.स. बालिका विद्या मंदिर, बुलन्दशहर की विदुषी अग्रवाल तृतीय रही। तात्कालिक भाषण किशोर वर्ग में महाशय चुन्नीलाल सरस्वती बाल मंदिर, हरिनगर, दिल्ली की सुहानी प्रथम, सरस्वती शिशु मंदिर, चांपी, लोहरदगा की अर्चना कुमारी द्वितीय एवं सरस्वती शिशु मंदिर, सुभाष नगर, अम्बिकापुर के सूरज ठाकुर तृतीय रहे। तात्कालिक भाषण तरुण वर्ग में विद्या ज्योति एकेडमी, विजन बारी से अनिशा राई प्रथम, ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इं. कालेज, सिविल लाइन्स, प्रयागराज से अरिमर्दन दुबे द्वितीय एवं सरस्वती शिशु मंदिर, सेंधवा, बड़वानी से अदिति तिवारी तृतीय रहे। आचार्य पत्र-वाचन में विवेकानंद विद्यालय हाई सेकेंडरी स्कूल मुदीचुर, चेन्नई से श्रीमती दुर्गा लक्ष्मी प्रथम, सरस्वती विद्या मंदिर, रजप्पा प्रोजेक्ट, रामगढ़ से श्रीमती गायत्री कुमारी द्वितीय एवं आदर्श विद्या मंदिर, कपासन से यशपाल कुमावत तृतीय रहे।

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