इंडो-पैसिफिक क्षेत्र संपूर्ण विश्व में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने में अनिवार्य भूमिका अदा कर सकता है : गीतिका श्रीवास्तव

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

अंतरराष्ट्रीय हिंद-प्रशांत अध्ययन केंद्र विश्व में शांति और सहयोग के क्षेत्र में बहुत अच्छी भूमिका निभाएगाः सूकलाल।
नीली अर्थव्यवस्था पर विश्व के करोड़ों लोगों का जीवन निर्भर : मोहम्मद खुर्शीद आलम।
इंडो पैसिफिक केंद्र शोध के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नाम कमाएगा : प्रो. सोमनाथ।
कुवि के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो पैसिफिक स्टडीज द्वारा इमरजिंग इंडो पैसिफिक कंस्ट्रक्ट्स प्रोस्पेक्ट एंड चैलेंज विषय पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ।

कुरुक्षेत्र, 2 सितम्बर : गीतिका श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव, इंडो-पैसिफिक, विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने कहा कि हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुदृढ़ एवं धारणीय आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र विश्व में आर्थिक विकास का गुरुत्वाकर्षण केंद्र बना हुआ है। यह क्षेत्र विश्व के आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने वाले एक इंजन के तौर पर कार्य कर सकता है। हिंद प्रशांत के साथ स्तंभों की बात करते हुए उन्होंने समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण, और संसाधन साझा करना, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और प्रबंधन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शैक्षणिक सहयोग, व्यापार संपर्क और समुद्री परिवहन के विकास पर जोर दिया। वे शुक्रवार को विश्वविद्यालय के सीनेट हॉल में कुवि के इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंडो पैसिफिक स्टडीज द्वारा उभरते हिंद-प्रशांत निर्माण, संभावनाएं और चुनौतियां विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेस के उद्घाटन अवसर में बतौर मुख्यातिथि बोल रही थी।
सम्मानित अतिथि व दक्षिण अफ्रीका के राजदूत अनिल सूकलाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जल सेना में आईएनएस विक्रांत लॉन्च करके जल सेना की नीव को और अधिक मजबूत किया है। कुरुक्षेत्र की धरा गीता के ज्ञान के लिए प्रसिद्ध है जिसे महात्मा गांधी ने भी ग्रहण किया था और महात्मा गांधी से प्रेरित होकर नेल्सन मंडेला ने साउथ अफ्रीका में स्वतंत्रता आंदोलन को सफल बनाया। इस प्रकार मेरी उम्मीद है कि यह अंतरराष्ट्रीय हिंद-प्रशांत अध्ययन केंद्र भी विश्व में शांति और सहयोग के क्षेत्र में बहुत अच्छी भूमिका निभाएगा। आज के समय की अगर बात करें तो हिंद-प्रशांत ने एशिया-प्रशांत की जगह ले ली है जो कि एक वैश्विक एजेंडा है। आज के समय में हिंद प्रशांत क्षेत्र आकर्षण का केंद्र बन चुका है। इससे संबंधित बहुत से कारण है। हम नियम आधार अंतर्राष्ट्रीय आदेशों के पक्ष में है। हमारे लिए शांति, सहयोग, सिद्धांत एवं मूल्य बहुत मायने रखते हैं और सभी देशों के बीच में हम इनको बढ़ाने के पक्षधर है। हालांकि हिंद-प्रशांत क्षेत्र से संबंधित बहुत सारी चुनौतियां भी है जैसे कि अंतरराष्ट्रीय भू -राजनीति, बढ़ती हुई प्रतियोगिता, शक्तियों के बीच में टकराव इत्यादि।
पूर्व भारतीय राजदूत डॉ. संजय पांडे ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंद प्रशांत की पृष्ठभूमि नहीं नहीं है। यदि हिंद प्रशांत क्षेत्र की बात करें तो 2015 से पहले दृश्य कुछ और थे परंतु 2015 के बाद इन में बहुत परिवर्तन आया है।
समुद्री अर्थव्यवस्था में पूर्ति श्रृंखला व्यापार एवं सुरक्षा जैसे मुद्दे बहुत महत्वपूर्ण है। हिंद प्रशांत क्षेत्र की अवधारणा को और अधिक विस्तृत करने की आवश्यकता है। गंभीर बात यह है कि विभिन्न देशों की हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विषय में अलग-अलग अवधारणाएं है जिन्हें एक जिन्हें एक रूप करना आवश्यक है। इसके लिए शिक्षाविदों को अपनी विशेष भूमिका अदा करने की आवश्यकता है।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में ढाका बांग्लादेश से समुद्री मामलों की इकाई के सचिव मोहम्मद खुर्शीद आलम ने अपने वक्तव्य में कहा की नीली अर्थव्यवस्था एक नई अवधारणा है। परंतु समुंदरों में बहुत खजाना छिपा हुआ है चाहे हम मत्स्य की बात करें, खनिज तत्वों की बात करें, जैव प्रौद्योगिकी एवं नौ-परिवहण की बात करें। नीली अर्थव्यवस्था पर विश्व के करोड़ों लोगों का जीवन निर्भर करता है। इस बात में भी कोई संदेह नहीं है कि प्रदूषण प्लास्टिक तथा अन्य गंभीर समस्याएं इस अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरुक्षेत्र के अर्थशास्त्र विभाग में में स्थापित यह केंद्र इनर क्षेत्रों के अनुसंधान की ओर भी अपना ध्यान केंद्रित करेगा। और यह केंद्र भविष्य के लिए एक नियम का पत्थर साबित होगा। उन्होंने ब्लू इकोनामी की विशेषताओं का वर्णन करते हुए मानव के ऊपर इसके प्रभाव पर बातचीत की।
मुख्यमंत्री के सलाहकार, हरियाणा, विदेश सहयोग विभाग, चंडीगढ़, पवन चौधरी ने विनिर्माण क्षेत्र पर बल देते हुए कहा कि हमें भविष्य को ध्यान में रखते हुए युवा शक्ति को उसी प्रकार से तैयार करना चाहिए।
किसी भी देश के लिए विनिर्माण क्षेत्र बहुत आवश्यक है। हमें बदलती हुई तकनीक के साथ अपने आप को आगे बढ़ाना चाहिए। इसके लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने शासन में पारदर्शिता, विभिन्न सरकारी योजनाओं और संसाधनों के डिजिटलीकरण और कौशल आधारित शिक्षा की हरियाणा सरकार की नीति पर जोर दिया।
सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने अपने संबोधन में कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय हिंद प्रशांत अध्ययन केंद्र की स्थापना मेरे लिए भी बहुत खुशी का विषय है। इस के भावी विकास के लिए जो भी संभव मदद होगी वह विश्वविद्यालय जरूर करता रहेगा और मेरा मानना है यह केंद्र शोध के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर नाम कमाएगा। उन्होंने कहा कि भारत आईपीईएफ के तहत भागीदार देशों के साथ सहयोग करने और इस दिशा में काम करने का इच्छुक है। क्षेत्रीय आर्थिक संपर्क को आगे बढ़ाना, एकीकरण और क्षेत्र के साथ व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना इसका उद्देश्य है।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए केंद्र के निदेशक प्रोफेसर वी एन अत्री ने बताया कि यह केंद्र एक थिंक टैंक है और मेरा सपना है कि यह केंद्र वैश्विक स्तर पर काम करें। यह एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा है कि विश्व में सभी देश रणनीतिक हो रहे हैं और हमारे इस केंद्र का उद्देश्य धारणीय विकास को बढ़ावा देना, सुरक्षा के पैमानों को सुनिश्चित करना, स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र को बढ़ावा देना, वैश्विक मूल्य श्रृंखला के क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना है। अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अशोक चौहान ने मंच का संचालन किया तथा सत्र समापन पर धन्यवाद प्रस्ताव भी पढ़ा।
इस सम्मेलन में विशिष्ट अतिथियों में रियर एडमिरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद खुर्शीद आलम, सचिव समुद्री मामलों की इकाई, विदेश मंत्रालय, ढाका, बांग्लादेश, दक्षिण अफ्रीका से दक्षिण अफ्रीका के ब्रिक्स शेरपा, आईबीएसए (भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका) शेरपा एवं एम्बेसडर अट लार्ज अनिल सूकलाल, राजदूत संजय पांडा, तुर्की में पूर्व राजदूत, सेशेल्स में उच्चायुक्त, महावाणिज्यदूत सैन फ्रांसिस्को, श्री सेड्रिक क्रॉली, उप उच्चायुक्त, दक्षिण अफ्रीकी दूतावास, नई दिल्ली, फिरदौस दहलान (इंडोनेशिया), सेंटर फॉर इंडोनेशिया-मलेशिया-थाईलैंड ग्रोथ ट्राएंगल (आईएमटी-जीटी), मलेशिया के निदेशक, मीनाक्षी डाबी हौजरी, निदेशक विदेश मंत्रालय, मॉरीशस गणराज्य, पवन चौधरी, मुख्यमंत्री के सलाहकार, हरियाणा, विदेश सहयोग विभाग, चंडीगढ़, भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल आर के धवन, राजदूत राजीव कुमार भाटिया (सेवानिवृत्त), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, एमेरिटस प्रोफेसर डेनिस रुमली, कर्टिन यूनिवर्सिटी ऑस्ट्रेलिया, प्रो. ट्रान वैन होआ, सहायक प्रोफेसर, कॉलेज ऑफ बिजनेस, विक्टोरिया विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया, प्रो. संजय चतुर्वेदी, अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग, दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, कमोडोर उदय राव, पूर्व प्रधान निदेशक नौसेना खुफिया (पीडीएनआई) नाभि मुख्यालय, नई दिल्ली, कैप्टन अनुराग बिसेन, रिसर्च फेलो, एमपी-आईडीएसए, नई दिल्ली, सुश्री प्रज्ञा पांडे, रिसर्च फेलो, भारतीय विश्व मामलों की परिषद, नई दिल्ली, प्रो. राजेंद्र प्रसाद गुणपुथ, अंतर्राष्ट्रीय तुलनात्मक कानून में व्यक्तिगत अध्यक्ष, डीन, विधि और प्रबंधन संकाय, मॉरीशस विश्वविद्यालय ने भी भाग लिया।
इस अवसर पर आयोजन इस मौके पर कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, प्रो. पवन शर्मा, प्रो. अनिल वोहरा, प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. संजीव अग्रवाल, प्रो.अनिल मित्तल, प्रो. एसके चहल, प्रो. मोहिन्द्र चांद, प्रो. प्रदीप चौहान, डॉ. महासिंह पूनिया, डॉ. विवेक चावला, डा. राजन शर्मा, डॉ. दीपक राय बब्बर, आयोजन सचिव डॉ. अर्चना चौधरी, डॉ. प्रिया शर्मा, डॉ ईशु, डॉ. मनोज, डॉ. मोनिका, डॉ निधि, वैभव, वसुधा, अर्थशास्त्र विभाग के साथ-साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न अन्य विभागों से भी 50 के लगभग शोधार्थी एवं 150 से अधिक विद्यार्थी उपस्थित थे।

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