नितिका राजन सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा यौन उत्पीडन .. मानवतस्करी एवं घरेलू हिंसा के बारे में विधिक जानकारी दी गयी l उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के निर्देश तथा जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जनपद न्यायालय कन्नौज नितिका राजन सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कन्नौज द्वारा प्रा 0 पा 0 कटरा बहसार तहसील तिर्दा जनपद कन्नौज में यौन उत्पीडन मानवतस्करी के सम्बन्ध में एवं घरेलू हिंसा के सम्बन्ध में साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया । उन्होंने बताया किसी व्यक्ति को बल प्रयोग कर , डराकर , धोखा देकर , हिंसा जैसे तरीकों से भर्ती , तस्करी या बंधक बना कर रखना मानव तस्करी के अंतर्गत आता है l इसमें पीड़ित व्यक्ति से देह व्यापार , घरेलू काम , गुलामी इत्यादि कार्य पीड़ित व्यक्ति की इच्छा के विरुद्ध कराये जाते हैं । मानव तस्करी एक वैश्विक समस्या है . इसके फैलने का मूल कारण व्यापक गरीबी है . यदि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस अपराध को रोकना चाहता है तो सभी अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों को वैश्विक स्तर पर प्रभावित देशों के साथ सामूहिक रूप से मिलकर काम करने की आवश्यकता है । भारतीय दंड संहिता की धारा 370 और 370 के आईपीसी के अनुसार , भारतीय दंड संहिता की से प्रतिस्थापित किया गया है जिसमें मानव तस्करी के खतरे का प्रतिकार करने के लिए व्यापक प्रावधान किए गए हैं जिनमे अवैध व्यापार सहित शारीरिक शोषण या किसी भी रूप में बच्चों के यौन शोषण , गुलामी , दासता , या अंगों को जबरन हटाने सहित किसी भी रूप में शोषण संबंधी प्रावधान शामिल हैं । अनैतिक व्यापार ( गिवाराण ) अधिनियम 1956 तथा लैगिक अपराधी नेपाली का – गक्षण णिनियम 2012 के बारे में भी जानकारी दी गयी । लितिया राजन पानिय द्वारा परेनासा के सम्मान में जानकाशाइते हुये बताया गया कि शारीरिक दुर्व्यवहार अर्थात शारीरिक पीड़ा , अपहानि या जीवन या अंग या स्वास्थ्य को खतरा या लैगिंग दुर्व्यवहार अर्थात महिला की गरिमा का उल्लंघन , अपमान या तिरस्कार करना या अतिक्रमण करना या मौखिक और भावनात्मक दुर्व्यवहार अर्थात अपमान , उपहास , गाली देना या आर्थिक दुर्व्यवहार मानसिक रूप से परेशान करना ये सभी घरेलू हिंसा कहलाते हैं । घरेलू हिंसा अधिनियम का निर्माण 2005 के अन्तर्गत ऐसी महिलाये जो कुटुंब के भीतर होने वाली किसी किस्म की हिंसा से पीड़त हैं । इसमें अपशब्द कहे जाने , किसी प्रकार की रोक – टोक करने और मारपीट करना आदि प्रताड़ना के प्रकार शामिल हैं । दहेज निषेध अधिनियम , 1961 के अनुसार दहेज लेने , देने या इसके लेन – देन में सहयोग करना कानूनी अपराध है । दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498 ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है , के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है ।
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