लक्ष्मण परशुराम संवाद देख आत्ममुग्ध हुए दर्शक
रिपोर्ट :- अविनाश शाण्डिल्य ,कोंच
कोंच(जालौन):श्रीनवल किशोर रामलीला समिति के तत्वाधान में बजरिया में जारी रामलीला महोत्सव में रविवार रात धनुष यज्ञ लीला का प्रभावी मंचन किया गया। भगवान राम ने शिव धनुष पिनाक का भंजन कर राजा जनक के बिषाद को दूर किया, सीता ने उनके कंठ में जयमाल डाल कर उनका वरण किया। धनुष भंग होते ही जय श्रीराम के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा। लक्ष्मण और परशुराम के बीच हुए तीखे संवादों का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया।
प्रसंग में दर्शाया गया, राजा जनक घोषणा करते हैं कि जो वीर शिव धनुष पिनाक का भंजन करेगा उसके साथ सीता का विवाह होगा। देश देशांतर के राजा ही नहीं बल्कि यक्ष, नाग, देवता आदि भी राजाओं का वेश धारण कर जनकपुर की रंगशाला में एकत्रित हुए। गुरु विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण भी रंगशाला में पदार्पण करते हैं। जब सभी राजा महाराजा धनुष तोड़ने में विफल हो जाते हैं तब महाराज जनक को अपनी घोषणा पर पछतावा होता है और वे आवेग में भर कर पृथ्वी को वीर विहीन बताते हैं जिस पर लक्ष्मण कहते हैं कि जिस सभा में रघुवंशी वीर उपस्थित हों वहां कैसे उन्होंने अनुचित वाणी कह डाली। तब राम उन्हें शांत रहने का संकेत करते हैं। गुरु विश्वामित्र राम को धनुष भंग करने के लिए आदेशित करते हैं। गुरु आज्ञा पाकर राम धनुष का भंजन कर देते हैं और सीता उनके कंठ में जयमाल डाल कर उनका वरण कर लेती हैं। धनुष टूटने की प्रलयकारी गर्जना सुन कर भृगुकुल शिरोमणि भगवान परशुराम वहां आकर क्रोध करते हैं। उनके और लक्ष्मण के बीच हुए तीखे संवादों का दर्शकों ने खूब आनंद उठाया। बीच में हास्य व्यंग की शानदार प्रस्तुति में दूल्हे राजा और नाऊ कक्का ने दर्शकों का मनोरंजन कराया। जनक की भूमिका महावीर आचार्य, सतानंद रामू पटैरिया, रावण पवन परिहार, वाणासुर संजय सिंघाल, परशुराम रमेश तिवारी, सुनयना काजू पाटकार, चतुर सखी द्वय राजेन्द्र बेधड़क, नेपाल सिंह, विश्वामित्र पंकजाचरण वाजपेयी, साधू राजा शिवकुमार गुप्ता, अन्य राजाओं में विपुल सीरौठिया, प्रशांत नगरिया, शिवा अग्रवाल, देव खिलाड़ी, सुमति नेमीचंद अग्रवाल, विमति अनिल अग्रवाल, दूल्हेराजा राकेश गिरवासिया, नाऊ कक्का विश्वंभर झा आदि ने निभाई।