हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877
जाने कितने दिनों के बाद, गली में आज चाँद निकला,
कला परिषद की गीतों भरी शाम ने बांधा समां, जमकर थिरके श्रोता।
कलाकार समाज का एक अभिन्न अंग है : प्रो. सोमनाथ सचदेवा
कुरुक्षेत्र :- कोरोना महामारी ने समूचे देश के कलाकारों की विकास गति पर विराम लगा दिया था। जिससे कलाकारों को न केवल परेशानियों का सामना करना पड़ा बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी कमजोर हो गए। ऐसे में सांस्कृतिक आयोजनों का पुनः संचालित होना कलाजगत में कलाकारों के लिए संजीवनी जैसा है। कलाकार अपनी प्रतिभा के माध्यम से सदैव समाज को नई दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते हैं। एक ओर जहां कलाकार अपनी कला के माध्यम से देश की संस्कृति को विस्तार देते हैं वहीं दूसरी ओर विभिन्न विषयों के प्रति लोगों को जागरुक करने का कार्य भी करते हैं। कलाकार समाज का एक अभिन्न अंग हैं जो आम नागरिकों के जीवन में खुशी का संचार करता हैं। ये कहना था कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा का। वे हरियाणा कला परिषद की साप्ताहिक संध्या में आयोजित कार्यक्रम गीतों भरी शाम के दौरान लोगों को मुख्यअतिथि के रुप में सम्बोंधित कर रहे थे। हरियाणा कला परिषद द्वारा कला कीर्ति भवन में आयोजित गीतों भरी शाम में जीरकपुर से आए गायक रुपेश ऋषि, स्वारांशि तथा सुकण्ठ ने अपनी गायकी से खूब समां बांधा। इस अवसर पर दीनबंधू छोटूराम विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. सुरेश कुमार, कला एवं सांस्कृतिक विभाग हरियाणा से मनू कपूर, राजकीय उच्च विद्यालय के प्राचार्य जगदीश चंद्र विशेष रुप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इस अवसर पर मंच संचालन विकास शर्मा द्वारा किया। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों का स्वागत करते हुए हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद हरियाणा कला परिषद द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें प्रदेश के प्रतिष्ठित तथा उभरते कलाकारों को मंच दिया जा रहा है। हरियाणा कला परिषद की साप्ताहिक संध्या में श्रेष्ठ कलाकारों को आमंत्रित कर कुरुक्षेत्रवासियों का भरपूर मनोरंजन किया जा रहा है। गीतों भरी शाम में जीरकपुर से आए कलाकारों ने नए-पुराने गीतों को सुनाकर श्रोताओं से भरपूर वाहवाही लूटी। कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है, जाने कितने दिनों के बाद गली में आज चांद निकला, ये चांद सा रौशन चेहरा जुल्फों का रंग सुनहरा, इंतहा हो गई इंतजार की जैसे सुपरहिट गीतों के द्वारा सुकण्ठ और स्वारांशि ने खूब समां बांधा। वहीं रुपेश ऋषि ने वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी, तुम को देखा तो ये ख्याल आया, होठों से छूलो तुम मेरा गीत अमर करदो जैसी बेहतरीन गजलें सुनाकर तालियां बटौरी। श्रोताओं की फरमाईश पर भी कलाकारों ने चला जाता हूं किसी की धुन में धड़कते दिल के तराने लिए, है अपना दिल तो आवारा ना जाने किस पे आएगा, क्या हुआ तेरा वादा, ओ मेरे दिल के चैन बदन पे सितारे लपेटे हुए आदि गीतों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। लगभग ड़ेढ तक चले कार्यक्रम में गायक कलाकारों की प्रस्तुति पर सभी थिरकते नजर आए। अंत में मुख्यअतिथि ने कलाकारों को स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया। वहीं संजय भसीन ने अतिथियों का अंगवस्त्र व स्मृति चिन्ह के द्वारा आभार जताया। इस मौके पर नरेश सागवाल, शिवकुमार, वी.पी.वर्मा, रमेश कुमार, रजनीश भनौट, अशोक भाकरी, दीपक जांगड़ा, राजीव कुमार भी उपस्थित रहे।