कनौज: लौटी खुशियां आरबीएसके ने भरा मासूमों के दिल का जख्म

लौटी खुशियां आरबीएसके ने भरा मासूमों के दिल का जख्म

👉वर्ष 2019 से अब तक 69 बच्चों के जीवन में हुआ नवसंचार

कन्नौज
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम गरीब बच्चों के लिए जीवनदायिनी साबित हो रहा है।इस कार्यक्रम के तहत प्राथमिक विद्यालयों,आंगनबाड़ी केंद्रों व मदरसों में पढ़ने वाले गंभीर जन्मजात बीमारी से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क इलाज में सहायता दी जाती है। जिले में वर्ष 2019 से अब तक लगभग हृदय रोग से ग्रसित 9,कटे फटे होंठ व तालू के 22, जन्मजात बहरापन से 15, न्यूरल ट्युब डिफेक्ट से ग्रसित 3 व टेढ़े मेढ़े पैर के 20 बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा चुका है। इससे जहां बच्चों को नया जीवन मिला वहीं निराशा में डूबे परिजनों के जीवन में भी खुशी की लहर दौड़ गई।
इसी क्रम में आरबीएसके टीम की ओर से चयनित कन्नौज ब्लाक के ग्राम फगुआ निवासी देव उम्र 6 वर्ष व सृष्टि उम्र 5 वर्ष का नि: शुल्क सफल ऑपरेशन हुआ। दोनों बच्चों में जांच में दिल में छेद के लक्षण मिले थे।देव के पिता मुकेश कुमार उम्र 38 वर्ष बताते हैं कि मेरे दो बच्चे हैं। देव छोटा है। इसका जन्म 22 अक्टूबर 2016 में हुआ था। देव की उम्र जैसे-जैसे बढ़ रही थी।उसे सोने,सांस लेने की परेशानी भी बढ़ रही थी।उसका वजन भी सामान्य से कम था। मैंने एक निजी चिकित्सालय में उसका परीक्षण कराया तो दिल में छेद होने की जानकारी मिली तो ऐसा लगा कि पैरों के नीचे जमीन खिसक गई हो। अपने बच्चे के बारे में जब ऐसी खतरनाक बीमारी के बारे में पता चलता है तो परिवार को काफी प्रभावित करता है। ये शब्द मेरे लिए कितने दुखदाई थे बता भी नहीं सकता।पेशे से किसान होने के कारण बेहतर और अच्छे हॉस्पिटल में इलाज कराने में लाचारी थी। लेकिन मैंने खुद को संभाला और कार्डियोलॉजी कानपुर इलाज शुरू किया। कुछ दिन बाद गांव के प्राथमिक विद्यालय में आरबीएसके की टीम आई। वहां राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में जानकारी मिली।आरबीएसके टीम के सहयोग से देव को जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अलीगढ़ रेफर किया गया। जहां उसका 7 मई 2022 को ऑपरेशन हुआ।अब वह स्वस्थ हैं। माता पिता देव को स्वस्थ देख प्रसन्न हैं और आरबीएसके के माध्यम से देव को नई जिंदगी मिलने पर आरबीएस के टीम के आभारी हैं।
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ ए.के. जाटव ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आबीएसके) के अंतर्गत जन्म से 18 साल तक के बच्चे जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होते हैं। उनका नि:शुल्क इलाज किया जाता है। आरबीएसके टीम द्वारा स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों , मदरसों में बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर रोग से ग्रसित बच्चों को चिन्हित कर उनके उच्च स्तरीय जांच कर अनुबंधित अस्पतालों में रेफर कर उपचार कराया जाता है।

इन बीमारियों का होता उपचार
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के डीईआईसी मैनेजर वीरेश कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम के तहत दिमाग, हृदय, हाथ पैरों के टेढ़े मेढ़े होने, कटे-फटे होंठ व तालू, जन्मजात बहरापन एवं आंखों से कम दिखाई देने जैसी 38 गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का उपचार किया जाता है।
उन्होंने बताया कि कुछ बीमारियों का मौके पर ही इलाज कर दिया जाता है। लेकिन गंभीर मामलों में योजना के तहत लाभ दिलाने के प्रयास किए जाते हैं।

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