आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र मे सर सैयद अहमद खान का बहुत बड़ा योगदान- मास्टर आरिफ
✍️संवाददाता प्रशांत त्रिवेदी
गुरसहायगंज( कन्नौज) । 17 अक्टूबर रविवार को सर सैयद अहमद डे के अवसर पर क्षेत्र के गांव मझपुर्वा में संचालित एस यू एन नेशनल कॉलेज मे फरोग ए उर्दू अदब एसोसिएशन मझपुर्वा की जानिब से एक कार्यक्रम को आयोजित कर सर सैयद अहमद खान को याद किया गया। कालेज के प्रबंधक मास्टर मोहम्मद आरिफ खान ने अपने संबोधन में सर सैयद अहमद खान के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सर सैयद अहमद खां वह व्यक्ति थे । जिन्होंने अपने जीवन का आधा हिस्सा इस उद्देश्य को प्राप्त करने में लगा दिया । सभी भारतीय चाहे वह हिंदू हों या मुसलमान आधुनिक शिक्षा प्राप्त करें । यूरोपीय लोगों को यह एहसास कराएं कि वे भी उनसे किसी भी तरह से कम नहीं हैं। यही नहीं वे यह भी चाहते थे कि सभी भारतीय अपनी राष्ट्रीय पहचान के साथ जीवनयापन करें । इसके लिए उन्होंने अपनी कलम का भरपूर इस्तेमाल किया और अपने व्याख्यायानों एवं लेखों के माध्यम से भारतीयों को प्रोत्साहित करने का काम अंजाम दिया। इस मौके पर मुंशी अनीस अहमद ने कहा कि सबसे बड़ी बात यह है कि उन्होंने अपने जमाने के तकाजों को समझा और उन्हें अमलीजामा पहनाने की पुरजोर जद्दोजहद की। प्रोफेसर एवं युवा शायर आफताब अहमद खान ने अपने संबोधन में बताया कि सर सैयद अहमद खां का जन्म 17 अक्तूबर, 1817 को दिल्ली मे सैयद घराने में हुआ था। उनका व्यक्तित्व अद्भुत दूरदर्शिता, विवेकधर्मिता और देशभक्ति से ओत-प्रोत था। वे तरक्की के हिमायती थे यानी उनका मानना था कि वक्त की नजाकत को समझते हुए इंसान को खुद को हर परिस्थिति के लिए तैयार रखते हुए ऐसे काम अंजाम देने चाहिए जिससे बाद में आने वाली नस्ल फायदा उठाकर और ज्यादा तरक्की कर सके। इससे होगा यह कि मनुष्य के विकास का क्रम निर्बाध गति से बढ़ता चला जाएगा इस संबंध में उनके विचारों को इन पंक्तियों के माध्यम से समझा जा सकता है— “इंसान को यह खयाल रखना चाहिए कि मैं कोई ऐसा काम कर जाऊं, जिससे इंसानों को और कौमों को फायदा पहुंचता रहे। इस अवसर पर मुफीद कन्नोजी मसरुर अहमद मसरुर उमर इदरीसी अब्दुल गफ्फार मदारी कमाल सौंसरापुरी शराफत खां तरीक अहमद तरीक मतीन अहमद तालिब खान सहित कई लोग मौजूद रहे।