कन्नौज:विश्व हीमोफीलिया दिवस (17 अप्रैल) विशेष

विश्व हीमोफीलिया दिवस (17 अप्रैल) विशेष

लगातार खुन बहे तो हो जाएं सावधानः सीएमओ
✍️ दिव्या बाजपेई
कन्नौज ।हीमोफीलिया रोग माँ बाप से बच्चे पर आता है यानी यह रोग अनुवांशिक होता है। इस रोग से पीड़ित लोगों में क्लोटिंग फैक्टर अर्थात खून के थक्के बनना बंद हो जाते हैं। सामान्य लोगों में जब चोट लगती है तो खून में थक्के बनाने के लिए ज़रूरी घटक खून में मौजूद प्लेटलेट्स से मिलकर उसे गाढ़ा कर देते हैं। इस तरह खून अपने आप बहना बंद हो जाता है, लेकिन जो लोग हीमोफिलिया से पीड़ित होते हैं, उनमें थक्के बनाने वाला घटक बहुत कम होता या होता ही नहीं है। इसलिए उनका खून ज्यादा समय तक बहता रहता है। अक्सर इस रोग का पता आसानी से नहीं चलता है, जब बच्चे के दांत निकलते हैं और खून बहना बंद नहीं होता तब इस बीमारी के बारे में पता चल सकता है। यह कहना है मुख्य चिकित्साधिकारी डा.विनोद कुमार का। उन्होंने बताया कि क्लोटिंग फैक्टर खून में पाया जाने वाला एक प्रोटीन है।जो चोट लगने की स्थिति में खून को बहने से रोकता है। इस बीमारी में ज्यादा खून बहने से जान भी जा सकती है। यह दो प्रकार का होता है। पहला हीमोफीलिया ए और दूसरा हीमोफीलिया बी। हीमोफिलिया ए – यह बेहद सामान्य प्रकार का हीमोफिलिया होता है, इसमें रक्त के थक्के बनने के लिए आवश्यक “फैक्टर 8” की कमी हो जाती है। हीमोफिलिया बी – यह दुर्लभ प्रकार का हीमोफिलिया होता है, इसमें क्लोटिंग “फैक्टर 9” की कमी हो जाती है। जिला चिकित्सालय के बाल रोग विशेषज्ञ डा.सुरेश यादव का कहना है कि  जिस तरह शादी से पहले कुंडली मिलाई जाती है उसी प्रकार आने वाले गंभीर बीमारियों जैसे डायबिटीज, हीमोफिलिया, कैंसर, रोगों से बचने के लिए मेडिकल हिस्ट्री जानना बहुत ज़रूरी है। साथ ही गर्भधारण से पूर्व माता और पिता का मेडिकल चेकअप होना बहुत आवशयक है। इस तरह से समय रहते इलाज होना संभव होता है। 

हीमोफिलिया के लक्षण 

मांसपेशियों एवं जोड़ों में रक्तस्त्राव या दर्द होना 

नाक से लगातार खून निकलना 

त्वचा का आसानी से छिल जाना 

शरीर पर लाल, नीले व काले रंग के गांठदार चकत्ते

सूजन, दर्द या त्वचा गरम हो जाना

चिड़चिड़ापन, उल्टी, दस्त, ऐठन, चक्कर, घबराहट आदि

मूत्र या शौच करते समय तकलीफ होना

सांस लेने में समस्या

खून या काला गाढ़े घोल जैसे पदार्थ की उल्टी करना 

बचाव के तरीके

चोट लगने की स्थिति में खून जमाने और घाव भरने के लिए मुंह से खाने वाली दवाएं और चोट वाली जगह पर लगाने की दवाएं आदि भी दी जाती हैं। मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती के लिए नियमित व्यायाम करें। यह आपकी सामान्य तंदुरूस्ती के लिए भी जरूरी है और आपके जोड़ों को भी स्वस्थ रखने और उनमें इंटरनल ब्लीडिंग से बचाव में लाभदायक होगा। अगर आपका बच्चा बाहर खेल रहा है या साइकिल चलाना सीख रहा है अथवा चला रहा है तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है। खेलते समय हेलमेट, एल्बो और नी पैड्स एवं प्रोटेक्टिव जूते पहनाकर रखें। हीमोफिलिया बीमारी को लेकर जागरूकता के लिए हर वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफिलिया दिवस मनाया जाता है। यह विश्व फेडरेशन ऑफ़ हीमोफिलिया की एक पहल है। इस वर्ष की थीम– सभी के लिए सुलभ उपलब्ध’ है।

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