दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस में कथा व्यास साध्वी भाग्य श्री भारती जी ने श्री कृष्ण लीलाओं का किया वर्णन

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस में कथा व्यास साध्वी भाग्य श्री भारती जी ने श्री कृष्ण लीलाओं का किया वर्णन

फिरोजपुर 30 सितम्बर {कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता}=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस मे दीप प्रज्वलित की रस्म नरेश कटारिया एम.एल.ए ,समीर मित्तल ,धर्मपाल बंसल ,रोहित गुलाटी ,रूपेश गुप्ता ,द्वारा करवाई गई कथा व्यास साध्वी भाग्य श्री भारती जी ने बताया कि जब वह ईश्वर इस धरती पर अवतार धारण करता है तो उनकी क्रियाओ को लीला शब्द से संबोधित किया जाता है। लीला अर्थात दिव्य खेल,दिव्य क्रीड़ा। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतरण काल में अनेकों ही दिव्य लीलाए की। ब्रज की कुंज गलियां,कंस के अत्याचारों से पीड़ित मथुरा भूमि, कुरूक्षेत्र का महास्मरांगण, हर क्षेत्र में इनकी अलौकिक लीलाओ का प्रकाश जगमगाया ये दिव्य क्रीड़ाएं तत्समय तो सप्रयोजन थी ही ,आज युगोंपरांत भी हमारे लिए प्रेरणा दीप है। साधारण प्रतीत होते हुए भी असाधारण संदेशों की वाहक हैं। एक-एक लीला में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य संजोया व पिरोया हुआ है। जैसे ग्वालिनों की मटकी से माखन चुराकर खाना। नटखट कान्हा अपनी ग्वाल, बालों की टोली के संग किसी भी ग्वालिन के घर में चोरी छिपे प्रवेश कर जाता करते थे। अवसर पाते ही माखन की मटकी छींके से उतार लाते। फिर सब सखाओ के संग खूब छक कर माखन खाते।
नन्दनंदन माखन चोर की यह लीला अत्यंत सांकेतिक है।यह इशारा कर रही हैै कि संसार द्वैतात्मक है। इसमें माखन रूपी साथ एवं छाछ रूपी अंसार दोनों ही विद्यमान हैं। माखन चुराकर प्रभु यही समझा रहे हैं कि इस संसार में परम साथ तत्त्व अर्थात ईश्वर का वरण करो सार हीन माया का नहीं। इसी प्रकार कंकड़ मारकर मटकी फोड़ना, मनमोहनी बांसुरी की तान छेड़ना ,आदि आदि सभी लीलाए अत्यंत प्रेरणात्मक हैं। दिव्य एवं अलौकिक हैं। किंतु विडम्बना है कि वर्तमान में इन कृष्ण लीलाओं के संदर्भ में अनेकों भ्रांतियां फैली हुई हैं।
आज का बुद्धिजीवी वर्ग इन पारलौकिक लीलाओं को अपनी संकीर्ण लौकिक बुद्धि के तराजू में तोलने की चेष्टा कर रहा है। परिणामतः वह इन दिव्य लीलाओं पर ऊल-जुलूल प्रश्नचिन्ह लगा बैठता है! इसलिए भगवान की लीलाओ को कभी भी अपनी बुद्धि के द्वारा समझने का प्रयास न करें। क्योंकि वह ईश्वर मन बुद्धि वाणी से परे का विषय है। उसे केवल ज्ञान के द्वारा समझा जा सकता है।

सेवा भारती फ़िरोज़पुर की ओर से प्रसाद वितरण करने की सेवा श्री त्रिलोचन चोपड़ा और श्री अशोक गर्ग ने निभाई।

कथा में मुख्य यजमान के रूप में सुनीता शर्मा, केवल कृष्ण शर्मा, मदन मोहन बबी, शामिल हुए और प्रभु की लीलाओं का आनंद उठाया।

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