दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर पूजन के उपरांत कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि जब ईश्वर इस धरती पर अवतार धारण करता है तो उसकी क्रियाओं को लीला से संबोधित किया जाता है

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर पूजन के उपरांत कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि जब ईश्वर इस धरती पर अवतार धारण करता है तो उसकी क्रियाओं को लीला से संबोधित किया जाता है

फिरोजपुर 05 अप्रैल [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]:=

दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पार्षद पूरण चन्द जसूजा, सुशील फुटेला एवं सुरिंदर (नीटा) बजाज ने परिवार सहित पूजन किया। कथा व्यास साध्वी भाग्यश्री भारती जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि जब वह ईश्वर इस धरती पर अवतार धारण करता है तो उनकी क्रियाओ को लीला शब्द से संबोधित किया जाता है। लीला अर्थात दिव्य खेल,दिव्य क्रीड़ा। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने अवतरण काल में अनेकों ही दिव्य लीलाए की। ब्रज की कुंज गलियां,कंस के अत्याचारों से पीड़ित मथुरा भूमि, कुरूक्षेत्र का महास्मरांगण, हर क्षेत्र में इनकी अलौकिक लीलाओ का प्रकाश जगमगाया ।
ये दिव्य क्रीड़ाएं तत्समय तो सप्रयोजन थी ही ,आज युगोंपरांत भी हमारे लिए प्रेरणा दीप है। साधारण प्रतीत होते हुए भी असाधारण संदेशों की वाहक हैं। एक-एक लीला में गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य संजोया व पिरोया हुआ है। जैसे ग्वालिनों की मटकी से माखन चुराकर खाना। नटखट कान्हा अपनी ग्वाल, बालों की टोली के संग किसी भी ग्वालिन के घर में चोरी छिपे प्रवेश कर जाता करते थे। अवसर पाते ही माखन की मटकी छींके से उतार लाते। फिर सब सखाओ के संग खूब छक कर माखन खाते।
नन्दनंदन माखन चोर की यह लीला अत्यंत सांकेतिक है।यह इशारा कर रही हैै कि संसार द्वैतात्मक है। इसमें माखन रूपी साथ एवं छाछ रूपी अंसार दोनों ही विद्यमान हैं। माखन चुराकर प्रभु यही समझा रहे हैं कि इस संसार में परम साथ तत्त्व अर्थात ईश्वर का वरण करो सार हीन माया का नहीं। इसी प्रकार कंकड़ मारकर मटकी फोड़ना, मनमोहनी बांसुरी की तान छेड़ना ,आदि आदि सभी लीलाए अत्यंत प्रेरणात्मक हैं। दिव्य एवं अलौकिक हैं। किंतु विडम्बना है कि वर्तमान में इन कृष्ण लीलाओं के संदर्भ में अनेकों भ्रांतियां फैली हुई हैं।
आज का बुद्धिजीवी वर्ग इन पारलौकिक लीलाओं को अपनी संकीर्ण लौकिक बुद्धि के तराजू में तोलने की चेष्टा कर रहा है। परिणामतः वह इन दिव्य लीलाओं पर ऊल-जुलूल प्रश्नचिन्ह लगा बैठता है! इसलिए भगवान की लीलाओ को कभी भी अपनी बुद्धि के द्वारा समझने का प्रयास न करें। क्योंकि वह ईश्वर मन बुद्धि वाणी से परे का विषय है। उसे केवल ज्ञान के द्वारा समझा जा सकता है। कथा में नगर कौंसल प्रधान,फाजिल्का एडवोकेट सुरिंदर सचदेवा,बार प्रेसिडेंट फाजिल्का गुलशन महरोक,राम निवास बिहाणी,श्रीनिवास बिहाणी,इंदर चन्द बिहनी,सतीश सचदेवा,डॉ अर्पित गुप्ता, डॉ श्रुति गुप्ता ने दीप प्रज्ज्वलित किया। साध्वी जगदीशा भारती,शुभानंदा भारती,सदया भारती एवं शीतल भारती ने सुमधुर भजनों का गायन किया। पावन आरती में विशेष रूप से बी.एस.एफ. 52 बटालियन के कमांडेंट माहेश्वर प्रसाद ने परिवार सहित हिस्सा लिया। इनके साथ द्वितीय कमान अधिकारी 52 बटालियन रमेश कुमार, प्रमुख समाजसेवी लीलाधार शर्मा, डॉ नवदीप जसूजा, डॉ सिमी जसूजा, विजय छाबड़ा, राघव सचदेवा, डॉ मनुज डूमडा, सिप्पी कालड़ा, लक्की शर्मा एवं बांके बिहारी मंदिर के सदस्यों ने भाग लिया। कथा के बाद सारी संगत के लिए लंगर की व्यवस्था की गई। कथा में हजारों भगतजन प्रभु का आर्शीवाद प्राप्त कर रहें हैं।

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