खादी को मार्किट में फिर आत्मनिर्भर भारत बनाने का मौका मिला, कोरोना महामारी से राहत मिलने के बाद खादी केंद्रों पर बढ़ा काम

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

खादी की नई सर्दियों की रेंज मार्किट में उतारने के लिए जुटे कारीगर।
खादी ग्रामोद्योग द्वारा सर्दी और त्यौहारो के लिए विशेष तैयारियां।
त्यौहारों पर खादी की मल्टी नैशनल ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों को चुनौती।
ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों के मुकाबले त्यौहारों पर खादी के नए डिजाइनों में परिधान उपलब्ध।

कुरुक्षेत्र, 20 सितम्बर :- राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का सपना तथा स्वरोजगार व आत्मनिर्भर भारत की खादी को कोरोना महामारी से राहत मिलने के बाद मार्किट में चुनौती देने का फिर से मौका मिल रहा है। मोदी सरकार के प्रयासों से खादी को काफी प्रोत्साहन मिला है। ऐसे में त्यौहारों को देखते हुए खादी ग्रामोद्योग ने भी मल्टी नैशनल कंपनियों के ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों को टक्कर देने की तैयारी की है। यहां तक कि सर्दियों के आगमन से पूर्व त्यौहारों पर तो ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों के मुकाबले के लिए खादी की एक नई रेंज बिक्री के लिए उतारी गई है। खादी ग्रामोद्योग संघ नरड़ मिर्जापुर के मुख्य व्यवस्थापक एवं सचिव सतपाल सैनी ने बताया कि गाँधी जयंती खादी कपड़ों पर विशेष रियायत देने के साथ अब सर्दी के मौसम को देखते हुए त्यौहारों पर खादी की नई रेंज बिक्री के लिए जारी की है। उन्होंने बताया कि मार्किट में ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों की रेंज को देखते हुए राष्ट्रीय डिजाइनरों द्वारा तैयार खादी के नए डिजाईन हर वर्ग के लोगों के लिए खादी बिक्री केन्द्र तथा शोरुम में उपलब्ध हैं। सैनी ने दावा किया कि खादी के कपड़ों की जो रेंज बिक्री के लिए काऊंटर पर उपलब्ध है, वह किसी भी मामले में राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रांडिड रेडीमेट कपड़ों के मुकाबले में कम नहीं है। खादी के नए डिजाईन के परिधान आम आदमी के बजट के अनुसार ही बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि त्यौहारों तथा सर्दियों को भी ध्यान में रखते हुए खादी के रंग, डिजाईन एवं त्यौहारों पर भारतीय संस्कृति के परिधानों का भी खास ध्यान दिया गया है। सैनी ने कहाकि ब्रांडिड रेडीमेट कपड़े कई बार सर्दी के मौसम में त्वचा रोगों का कारण बन जाते हैं लेकिन खादी कपड़े स्वास्थ्य तथा शरीर की रक्षा के मामले में अन्य कपड़ों के मुकाबले में कहीं बेहतर हैं। इन कपड़ों से आदमी के शरीर को किसी भी स्थिति में नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। सैनी ने कहाकि आने वाले सर्दी के मौसम को देखते हुए उनकी खादी के कपड़ों को लेकर पूरी तैयारी है। सर्दी के कोट, बास्केट, गाउन, शाल, चादर, कुर्ता, पजामा, महिलाओं के सूट इत्यादि की नई रेंज तैयार की है जो मार्किट में अन्य ब्रांडिड कपड़ों को भी चुनौती देगी। दिल्ली कनाट प्लेस के.वाई.सी. भवन से इस बार खादी के कपड़ों का कई लाखों का ऑर्डर मिला है। उन्होंने कहाकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार हो रहा है और खादी कारीगरों को भी काफी काम मिल रहा है। पिछले दो सालों से खादी केंद्रों को गीता जयंती महोत्सव आयोजित न होने के कारण भारी नुकसान हुआ है लेकिन इस बार की गीता जयंती के लिए खादी के रेडीमेट कपड़ों की काफी अच्छी रेंज तैयार की है। कोरोना के बाद अब खादी की बिक्री भी बहुत बड़ी है। खादी पर अब आधुनिक एवं कुशल डिजाइनर काम कर रहे है। मार्किट की डिमाण्ड के अनुसार पहले रेडीमेट कपड़ों के मुकाबले खादी के कपड़ों की गुण त्ता अब अच्छी है । खादी आयोग के निर्देशानुसार खादी यूनिटों में भी काफी प्रभावी कदम उठाये जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसी कड़ी में खादी उत्पादन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक्स्ट्रा एडवांस टैक्नोलॉजी की मशीनें लगाई गई हैं। उन्होंने बताया कि अब खादी केवल कुछ लोगों तक सीमित नहीं रहेगी बल्कि ब्रांडिड कंपनियों की भांति इसके भी डिजाइन बहुत आकर्षक हैं और उनकी मांग पुरे भारत वर्ष में ही नहीं विश्व के अन्य देशों में भी बनने लगी है। सैनी ने बताया कि नई टैक्नोलॉजी को अपनाते हुए खादी के कपड़ों की डिजाइनिंग करते समय स्टिचिंग और कटिंग का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। उन्होंने बताया कि देश के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने भी कहा है कि देश के हर परिवार में सदस्य चाहे हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौंक रखते हों लेकिन उनके पास एक खादी का कपड़ा भी होना चाहिए। सैनी ने बताया कि जैसे जैसे खादी में डिजाइनिंग और क्वालिटी में सुधार आता जा रहा है, इसकी डिमाण्ड भी बढ़ती जा रही है।
खादी केंद्र में काम करते हुए कारीगर व जानकारी देते हुए सचिव सतपाल सैनी।

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