प्रोटेस्ट लोकतंत्र की खुबसूरती इसे कुचलने का असफल प्रयास कर रहे हैं केके पाठक
इन्तेखाब आलम
शिक्षकों के पक्ष में उतरे कांग्रेस नेता की अविलंब कार्रवाई रद्द करने की मांग
पटना – शिक्षक नेता व टीईटी प्रारंभिक शिक्षक संघ बिहार के प्रदेश संयोजक राजू सिंह, शैलेन्द्र राय, बंशीधर ब्रजवासी सहित सैकड़ों शिक्षक नेताओं पर निलंबन के तुगलकी आदेश से शिक्षकों में आक्रोश व्याप्त है समाजसेवी और राजनेता भी शिक्षकों के पक्ष में उतर आए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन्तेखाब आलम ने शिक्षा विभाग के अपर सचिव केके पाठक पर तंज़ कसते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से हैं केके पाठक इसलिए योगी जी का तानाशाही वाला एक्सपेरीमेंट बिहार में करना चाहते हैं जो यहां नहीं चलने वाला है बिहार में लोकतंत्र से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन्तेखाब आलम ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि केके पाठक अब तानाशाही पर उतर आए हैं। संवैधानिक तरीके से अपने अधिकारों के लिए लोकतांत्रिक तरीके से प्रोटेस्ट का अधिकार संविधान ने दिया है। प्रोटेस्ट लोकतंत्र की खुबसूरती है लेकिन शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से प्रोटेस्ट करने वाले शिक्षकों पर चिन्हित कर कार्रवाई किया जाना लोकतांत्रिक व्यवस्था को कुचलने के तानाशाही रवैए को प्रदर्शित करता है।श्री आलम ने आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि केके पाठक बिहार से नहीं हैं इसलिए बिहारियों पर अंग्रेजों जैसी तानाशाही शासन चलाने का एक्सपेरीमेंट कर रहे हैं यह एक्सपेरीमेंट बंद करते हुए सभी निलंबन करने का आदेश निरस्त करने का मांग किया है। अन्यथा लोकतांत्रिक तरीके से शिक्षक हित में प्रोटेस्ट करने का अल्टिमेटम भी दिया है।