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छाया- वीना उमेश गर्ग।
कुरुक्षेत्र :- प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता केएन गोविंदाचार्य ने आयुष विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड इनोवेशन विभाग द्वारा आयुर्वेद पर किये जा रहे शोध कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेद पर किये जा रहे शोध से देश की अन्य आयुर्वेदिक संस्थाओं को भी प्रेरणा मिलेगी। आचार्य चरक ने चरक संहिता की रचना की है। जिसमें रोगों की चिकित्सा व स्वस्थ रहने के नियमों का उल्लेख है। अगर आयुर्वेदिक औषधियों पर निरंतर शोध किया जाए, तो निश्चित रूप से भारत आयुर्वेद में वैश्विक हब बनकर उभरेगा। गोविंदाचार्य ने ये बातें मंगलवार को आयुष विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक औषधियों पर शोध के लिए बनी रिसर्च एंड इनोवेशन विभाग के अवलोकन के दौरान कही। विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने केएन गोविंदाचार्य का फूल माला पहनाकर स्वागत किया और कुरुक्षेत्र दर्शन के लिए उनके साथ आए दर्शनार्थियों को औषधीय पौधे बांटे गए।
डॉ. रजनीकांत ने रिसर्च लेब में किये जा रहे शोध कार्यों से केएन गोविंदाचार्य और उनके साथियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि रिसर्च लेब में कोविंड-19, मधुमेह, गठिया रोग व वृद्धावस्था में भूलने की बीमारी आदि रोगों की आयुर्वेदिक औषधियों से निदान हेतु शोध कार्य किया जा रहा है। यह नेचुरल व मेडिसनल रसायन लैब लगभग एक सौ पच्चीस करोड़ रुपए की लागत से कुलपति महोदय के विजन अनुसार विश्वविद्यालय के रिसर्च एंड इनोवेशन विभाग के तहत आने वाली 23 लैब में से एक यह लैब स्थापित की गई है।
कुलपति डॉ. बलदेव कुमार ने कहा कि आयुर्वेद पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा विज्ञान है। इसे भारतवर्ष के विद्वानों ने जलवायु, भौगोलिक परिस्थितियों, दर्शन और ज्ञान विज्ञान को ध्यान में रखते हुए विकसित की है। देश में आयुर्वेद के ऊपर बहुत काम हुआ है। विश्वविद्यालय का उद्देश्य आधुनिक तकनीक द्वारा आयुर्वेद में ज्यादा से ज्यादा शोध हो और आयुर्वेद जन-जन तक पहुंचे। ताकि देश के नागरिकों में आयुर्वेद के प्रति विश्वास ओर ज्यादा बढ़े। इस अवसर पर मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक श्रीप्रकाश मिश्र, डीएन अशीष मेहता, सन्तराम, डॉ. सुरेंद्र विष्ठ और विकास शर्मा, अतुल गोयल, सुरेंद्र सहरावत, कर्नल एस,एन शर्मा व अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।