बिजेंन्द्र सिंह की खास रिपोर्ट
*अखिलेश और मायावती के एक्सप्रेस-वे और महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की हकीकत क्या है जानते है।
सबसे पहले मायावती ने गंगा एक्सप्रेसवें का प्रोजेक्ट ग्रेटर नोएडा से लेकर बलिया तक का वादा किया।
फेल क्यो हुआ इसको समझ लेते है- केंद्र को प्रोजेक्ट की फाइल भेजा लेकिन हमें वहां से हरी झंडी नहीं मिली। आप समझते चलिएस। यह बस मात्र एक राजनैतिक प्रोजेक्ट भर था इनके लिए।
आइए अब हम बात करते हैं अखिलेश जी के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर लखनऊ से आजमगढ़ एक्सप्रेस वे की जिसकी उन्होंने अनुमानित लागत रखी थी 19000 हजार करोड़ रुपए, हालांकि उन्होंने 2015 में इसका शिलान्यास कर दिया था पर जमीन पर काम नहीं दिखा।
काम शुरू क्यों नहीं हुआ क्योंकि इसके लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट होती है, टेंडर का प्रोसेस होता है। खैर इसी को आधार बनाकर अखिलेश यादव आज भी बोलते हैं कि यह प्रोजेक्ट मेरा था अब आप ही बताइए 2015 से 2017 तक उनकी सरकार जाने तक काम नहीं शुरू हो सका तो फिर कैसे जनता यकीन करें फिर इसे भी एक राजनैतिक प्रोजेक्ट ही माना जाएगा।
केंद्र में मोदी और प्रदेश में योगी की सरकार आने के बाद टेंडर प्रक्रिया दोबारा शुरू की गई। जो टेंडर अखिलेश यादव की सरकार में फ्लोट हुए थे, उसको रद्द करके दोबारा किए गए। मोदी और योगी सरकार में नए सिरे से फंड जारी किए गए, सड़क की चौड़ाई को बढ़ाया गया,गाजीपुर तक जो पहले आजमगढ़ तक ही था, और यह प्रोजेक्ट रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुआ। जिसकी लंबाई की बात करें तो 341 किलोमीटर लंबा यह पूर्वांचल एक्सप्रेस वे।
नव निर्माण मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस बात का दावा किया था, कि उन्होंने अखिलेश सरकार में इसकी अनुमानित लागत से 3000 करोड़ की बचत करके इस हाइवे को बनाया।
*यह तो एक हाईवे हुआ और भी आइए हम जानते हैं कि इसके अलावा भी और कितने राजनैतिक प्रोजेक्ट हुए।
मायावती के कार्यकाल में नोएडा टू आगरा एक्सप्रेस- वे जरूर बनाया गया जिसकी लंबाई 165 किलोमीटर है, जो 5 सालों में बनकर तैयार हुआ था।
हालांकि अखिलेश के कार्यकाल में आगरा टू लखनऊ एक्सप्रेस वे बना, जो 302 किलोमीटर लंबा है, यह 5 साल में बनकर तैयार हुआ।
मायावती ने 165 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे बनाया, तो अखिलेश यादव ने 302 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे बनाया, यानी उन्होंने अपने कार्यकाल में एक-एक एक्सप्रेस वे बनाया।
*अब आइए जानते हैं योगी सरकार ने अपने कार्यकाल में कितने एक्सप्रेस वे बनाए और कितने लंबे।
योगी सरकार में बना पूर्वांचल एक्सप्रेस वे जिसकी लंबाई(341) किलोमीटर है।
तो वही योगी सरकार ने अपने दूसरे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे जो बनकर लगभग तैयार हो चुका है उसका भी उद्घाटन इसी महीने होने वाला है।
मायावती ने जहां अपने कार्यकाल में मात्र 165 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे बनाया और अखिलेश ने 302 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे बनाया।
तो योगी आदित्यनाथ ने 600 किलोमीटर से ज्यादा लंबाई वाले एक्सप्रेस वे रिकार्ड समय में बना डाले। और अभी भी उनकी सरकार के 4 महीने से ज्यादा बाकी है। अब तक तो आपको तीनों के काम करने की स्पीड का अंदाजा हो ही गया होगा।
अब आते हैं इनके 15 साल और योगी के 5 साल और देखते हैं क्या-क्या काम हुए।
मायावती और अखिलेश ने 15 साल में 467 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे मिलकर बनाया। तो वही योगी सरकार ने 5 साल से भी कम समय में 641 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेस वे बना डाला।
*आइए थोड़ा मेट्रो के बारे में भी जान लेते हैं।
2012 में (डीपीआर) डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट केंद्र को भेजने का दवा मायावती सरकार ने किया।
उसके बाद आई अखिलेश सरकार ने 2013 में परियोजना की शुरुआत की, और 2017 में जो मेट्रो स्टेशन के बीच ही उद्घाटन कर दिया। मतलब अलग कोई लाइन नहीं बनी इन दोनों के बीच यानी एक से दूसरे के बीच ही उद्घाटन कर दिया और वाहवाही ले ली।
अब आते हैं योगी सरकार पर इन्होंने 23 किलोमीटर लंबा मेट्रो प्रोजेक्ट रिकॉर्ड समय पर पूरा कर दिया। लखनऊ मेट्रो फुल फ्लेज पर उद्घाटन भी हो गया। इसके बाद आते हैं कानपुर मेट्रो पर जिसकी 2016 में अखिलेश सरकार ने नीव रखी, इसकी प्रोजेक्ट लागत उन्होंने 13 हजार 721 करोड़ तय की, और काम भी शुरू नहीं हो सका।
और यहां भी योगी सरकार ने बीड़ा उठाया और 2019 में इसका काम पूरी तेजी के साथ शुरू कर दिया, 2 साल से कम समय में काम पूरा हुआ, ट्रायल रन भी पूरा हो चुका है, ‘2022, जनवरी में जनता इस मेट्रो सेवा का आनंद ले सकेगी।
अब थोड़ा गोरखपुर एम्स की बात भी कर लेते हैं। अखिलेश सरकार ने 2016 में केंद्र सरकार से मंजूरी ली, 2017 में जमीन अलॉट प्रक्रिया शुरू हुई, वह भी प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद 112 एकड़ जमीन मिली चुनाव आ गया प्रक्रिया रुक गई। यहां भी अखिलेश यादव का अंतिम समय में राजनैतिक प्रोजेक्ट से ज्यादा कुछ नहीं था।
2017 में फिर आई योगी सरकार और उन्होंने तुरंत केंद्र सरकार को जमीन हैंड ओवर की और 5 साल से कम समय में AIIMS की OPD और कई इमरजेंसी सेवाएं शुरू हो गई।
विकास की बात हो ही रही है तो जेवर एयरपोर्ट की कहानी भी आपको बताते हैं।
मायावती ने 2002 में इसे ड्रीम प्रोजेक्ट बताया, 2004-09 में इसे केंद्र सरकार को प्रपोजल भेजा, उसके बाद केंद्र से मंजूरी नहीं मिलने का आरोप लगाया।
जब अखिलेश सरकार आई तो इस पूरे प्रोजेक्ट को ही रद्द कर दिया, और अखिलेश सरकार ने मथुरा या आगरा में न्यू एयरपोर्ट बनाने की बात शुरू कर दी, और फिर एक बार अखिलेश सरकार ने 2016 में जेवर एयरपोर्ट की तरफ लौट कर आने का फैसला किया। फिर आई योगी सरकार 2017 में इन्होंने टेक्निकल क्लीयरेंस लिया, युद्ध स्तर पर जमीन अधिग्रहण करना शुरू किया, टेंडर निकाला और काम शुरू कर दिया। ‘2024, से पहले तैयार हो जाने का दावा।
आप जनता जनार्दन है, इन पांच महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर जो आज इतनी राजनीति हो रही है, उसकी हकीकत आपके सामने है, और आप ही तय करें किस ने काम किया और किसने सिर्फ राजनीतिक मुद्दा बनाए रखना चाहा।