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धर्म ग्रंथों को पढ़ने के लिए संस्कृत का ज्ञान जरूरी : महंत राजेंद्र पुरी।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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रामायण हमें संस्कार एवं गीता हमें कर्म सिखाती है : महंत राजेंद्र पुरी।
कुरुक्षेत्र, 5 मार्च : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने धर्म प्रचार के दौरान श्रद्धालुओं को संदेश देते हुए समझाया कि जीवन में क्या करना चाहिए क्या नही करना चाहिए। विशेष कर महिलाओं को समझाते हुए कहा कि आज के समाज की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि नारी को घर की लक्ष्मी माना जाता है, परंतु आज के युग में मोबाइल और टेलीविजन पर जितने भी धारावाहिक आज चल रहे है, सभी में जो फूहड़ता दिखाई जा रही है। वो हर घर में बड़ी सहजता से आनंद ले कर देखे जाते हैं। जिनमें सास-ससुर से लड़ाई, एकाकी परिवार में रहना, सबसे बड़ा दुखद चलन जो एक गृहस्थ आदमी के दो-दो घर दिखाए जा रहे हैं। जिससे सबसे ज्यादा कलेश होते है और हमारे घरों में वह सब बड़े आनंद से देखा जा रहा है। इस पर महंत ने कहा कि हमें यह सब नहीं देखना चाहिए। धारावाहिक देखने ही है तो रामायण देखें या महाभारत देखें।
महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि रामायण हमें संस्कारों के साथ सिखाती है, जीवन में क्या करना चाहिए। महाभारत सिखाता है कि क्या नही करना चाहिए। इसी तरह श्रीमद् भागवत गीता हमें सिखाती है कैसे जीवन जीना चाहिए।
महंत ने बताया कि हिंदू धर्म के लोगों की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि उन्हें अपनी भाषा ही नही आती और न पढ़ना सीखना चाहते हैं। हमारे सभी धर्म ग्रंथ, वेद पुराण, गीता आदि सभी संस्कृत भाषा में है, जो हिंदू लोगों को पढ़नी ही नहीं आती है। अन्य समुदाय के लोग अपने ग्रंथ व कुरान पढ़ते है और धर्म के बारे में जानते हैं।
महंत ने कहा कि अगर कोई अपने आस पास, गली-मोहल्ले या पड़ोस में जितना हो सके बच्चों को संस्कृत पढ़ना लिखना सिखाए तो उसका खर्च जग ज्योति दरबार उठाने के लिए तैयार है। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा की हमें अपनी आने वाली पीढ़ी को धर्म की जानकारी देनी चाहिए और संस्कृत पढ़ने और सीखने के लिए जरूर कहें।
जग ज्योति दरबार में महंत राजेंद्र पुरी एवं श्रद्धालु।