विश्व स्तरीय अध्यात्म- सांस्कृतिक का पर्यटन केंद्र बनेगा कुरुक्षेत्र

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक
गीता के 18 अध्यायों पर तैयार होंगे द्वार, अष्टकोसी परिक्रमा का होगा पुनरुद्धार।
चंडीगढ़ : नायब सरकार ने गीता की उद्गम स्थली कुरुक्षेत्र को विश्व स्तरीय अध्यात्म व सांस्कृतिक पर्यटन केंद्र बनाने का रोडमैप तैयार किया है। गीता के 18 अध्यायों पर द्वार तैयार होंगे तो अष्टकोसी परिक्रमा का पुनरुद्धार होगा। यही नहीं, गीता के प्रति श्रद्धालुओं व पर्यटकों का जुड़ाव बढ़ाने के लिए गीता स्टडी, मेडिटेशन और रिसर्च सेंटर बनाया जाएगा।
महाभारत स्थली से प्रख्यात कुरुक्षेत्र के स्वरूप को बदलने का मसौदा कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं वार्षिक बैठक में तैयार किया गया। राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अध्यक्ष बंडारू दत्तात्रेय, मुख्यमंत्री एवं केडीबी के उपाध्यक्ष नायब सैनी, गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज और थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा की मौजूदगी में हुई बैठक में कुरुक्षेत्र के विकास और विश्व स्तर पर महाभारत स्थली को अध्यात्म नगरी के तौर पर पहचान दिलाने के लिए मंथन हुआ। बैठक के दौरान थानेसर विधायक अशोक अरोड़ा ने धर्मनगरी के विकास को लेकर सकारात्मक सुझाव दिए। वहीं स्वामी ज्ञानानंद महाराज की ओर से धर्मनगरी को विश्वस्तरीय अध्यात्म एवं सांस्कृतिक केंद्र बनाने को लेकर सुझाव रखा कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के साथ गीता वाणी को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए। गीता मनीषी स्वामी ज्ञानांद महाराज की ओर से सुझाव दिया गया कि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र को पर्यावरण, योग, ध्यान, अध्यात्मक और भक्ति का केंद्र बनाना है, जोकि श्रद्धालुओं व पर्यटकों के जीवन बदलाव की नई प्रेरणा बन सके।
धर्मनगरी में बनेंगे 18 भव्य द्वार।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में गीता के 18 अध्यायों पर 18 भव्य द्वार बनाए जाएंगें। फिलहाल, पिपली गीता द्वार और सन्निहित सरोवर सूर्य द्वार बनाए गए हैं। बाकी द्वारों को बनाने की कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की ओर से रूपरेखा तैयार की कवायद शुरू कर दी है। वहीं उन जगहों को भी चिहिन्त किया जा रहा है, जहां पर द्वार बनाए जाएंगे, इनमें पिहोवा रोड ज्योतिसर, कुरुक्षेत्र-कैथल मार्ग, झांसा रोड व सेक्टर-3 बाईपास सहित कई अन्य स्थान हैं।
अष्टकोसी परिक्रमा की बदलेगी सूरत
कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की 82वीं बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी द्वारा अष्टकोसी परिक्रमा के पुनरुद्धार के निर्देश दिए गए हैं। कुरुक्षेत्र के बाहरी मोहल्ला स्थित प्राचीन नाभी कमल मंदिर से अष्टकोसी परिक्रमा शुरू होती है, जोकि स्थाण्वीश्वर महादेव मंदिर से होते हुए सरस्वती तट पर स्थित रंतुक यक्ष पिपली से होते हुए पलवल, बाण गंगा दयालपुर, अपगया तीर्थ कर्ण का टीला, भीष्मकुंड नरकातारी से होते हुए नाभी कमल मंदिर पर समाप्त होती है। अष्ट कोसी परिक्रमा मार्ग का जीर्णोद्धार किया जाएगा, साथ ही श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए शैल्टर और पीने के पानी की व्यवस्था सहित अन्य प्रबंध किए जाएंगे।
विश्व में धर्मनगरी को मिलेगी नई पहचान
48 कोस तीर्थ निगरानी कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा का कहना है कि विश्व में धर्मनगरी कुरुक्षेत्र को नई पहचान मिले, इसको लेकर राज्यपाल एवं कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के चेयरमैन बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री नायब सैनी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। गीता के 18 अध्यायों पर आधारित 18 गीता द्वार बढ़ने से धर्मनगरी की सुंदरता तो बढ़ेगी, साथ ही यह द्वारा आकर्षण का केंद्र बनेंगे, जिससे पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा। धर्मनगरी का स्वरूप लगातार बदल रहा है, अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के जरिये श्रद्धालु गीता स्थली की ओर खींचे चले आ रहे हैं।
गीता और कुरुक्षेत्र एक दूसरे के पर्याय : स्वामी ज्ञानानंद महाराज
गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज का कहना है कि गीता और कुरुक्षेत्र एक दूसरे के पर्याय हैं। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अमिट छाप बनानी होगी, दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरते ही पर्यटक सीधा गीता स्थली के दर्शन करने पहुंचे। राज्य सरकार द्वारा धर्मनगरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए सराहनीय प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों को फलीभूत करने के लिए साझा सहयोग भी जरूरी है।