बिहार:महामारी रूपी वैश्विक संकट को खत्म करने के प्रति संजीदा व गंभीर है कुष्ठ पीड़ित समाज

-विपरित स्वास्थ्य परिस्थितियों में भी टीकाकरण को दी प्राथमिकता, आम लोगों की झिझक बेकार
-कोरोना टीकाकरण के प्रति बेहद उत्साहित व जागरूक हैं मदर टरेसा कुष्ट कॉलोनी के लोग
-कोरोना संबंधी चिंताओं को लेकर समाज के हर वर्ग को है संजीदा होने की जरूरत

अररिया संवाददाता

समाज अगर अपने नजरिये में बदलाव लाये तो जल्द ही कोरोना महामारी का अंत संभव है। इसके लिये संक्रमण से बचाव संबंधी उपायों पर अमल के साथ प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण जरूरी है। कुष्ठ रोगियों का समाज भी महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों के कारण जरूरी बदलाव को स्वीकार कर चुका है। अररिया प्रखंड के हड़िया पंचायत अंतर्गत वार्ड संख्या 12 स्थित मदर टरेसा कुष्ठ कॉलोनी के अधिकांश लोगों का टीकाकृत होना इस बात का प्रमाण है। बस्ती अगुआ माने जाने वाले मंगल ऋषिदेव की मानें तो लोगों का स्वास्थ्य व तरक्की ऐसा मसला है कि इसे महज सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। हमें खुद भी इसके लिये सचेत व गंभीर होने की जरूरत है।

महामारी के खात्मे को ले हर संभव प्रयास के लिये तैयार हैं लोग :

मंगल ऋषिदेव बताते हैं कि बस्ती के अधिकांश लोग गरीब व अशिक्षा का दंश झेल रहे हैं। दैनिक मजदूरी व भिक्षाटन अधिकांश लोगों के जीवकोपार्जन का आधार है। लॉकडाउन की अवधि के दौरान लोगों को रोजी-रोजगार से जुडी दिककतों का सामना करना पड़ा। इसके बाद से ही लोग इस महामारी के जड़ से खत्म करने के लिये हर संभव प्रयास कर रहे हैं। उन्हें ज्ञात हो चुका है कि संक्रमण से बचाव का टीकाकरण ही एक जरिया है। लिहाजा जब पहली बार मेडिकल टीम टीकाकरण के लिये बस्ती पहुंची तो बिना किसी झिझक के 45 लोग टीका लेने के आगे आये। तब से तीन बार मेडिकल टीम यहां आ चुकी है। बस्ती के 65 घरों में 18 साल से अधिक उम्र के करीब 130 लोगों में 70 लोगों ने टीका की दोनों डोज ले ली है। 50 से 55 लोग दूसरे डोज के लिये निर्धारित समय का इंतजार कर रहे हैं।

सभी के हित के लिये है कोरोना टीकाकरण :

बस्ती के वीरेंद्र ऋषिदेव बताते हैं कि शुरू में समाज के कुछ लोगों ने हमें बरगलाना चाहा कि टीका लेने से हमारी जान को खतरा है। फिर हमने सोचा कि जब सरकार हमारे तरह के कुष्ठ रोगियों की मदद के लिये तरह-तरह की सरकारी योजना संचालित कर रही है तो टीकाकरण से हमारा अहित कैसे हो सकता है। जब दूसरी बार मेडिकल टीम बस्ती आयी तो टीका लेने वाला मैं पहला व्यक्ति था। बस्ती की रीता देवी, मुनिया देवी, हीना देवी सहित अन्य महिलाओं का कहना था कि झूठ का लोग टीका लेने से डरते हैं। हमनें तो टीका की दोनों डोज ले ली है। हमें कहां कोई परेशानी है। सभी लोग टीका ले लेंगे तो कोरोना तो अपने आप खत्म हो जायेगा।

बस्ती के लोगों से है सबक लेने की जरूरत :

वार्ड की आशा कार्यकर्ता हुस्नारा खातून बताती हैं कि सही मायनों में टीकाकरण के प्रति कुष्ठ कॉलोनी के लोगों का उत्साह सराहनीय है। एक दूसरे को प्रेरित करते हुए लोगों ने टीका लगाया है। जो समाज के अन्य लोगों के लिये किसी नजीर से कम नहीं कि जब गरीबी, अशिक्षा व विपरित स्वास्थ्य परिस्थितयों से गुजरते हुए बस्ती के लोगों में टीकाकरण के प्रति जागरूक हैं तो सामान्य लोगों का टीकाकरण से कतराना गैरवाजिब है। स्वस्थ व शिक्षित समाज से होने का दावा करने वाले लोगों को बस्ती के लोगों से सबक लेने की जरूरत है कि महामारी रूपी वैश्विक संकट को खत्म करने के प्रति जब कुष्ठ पीड़ित समाज के लोग इतने संजीदा व गंभीर हैं तो फिर वे क्यों नहीं।

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