बिहार:पूर्णिया के रामबाग अवस्थित ग्रीन हाउस में देश के चर्चित कथाकार दीर्घ नारायण की की कहानी ‘मेरी भी सुनो डार्विन’ का कथा पाठ का आयोजन

पूर्णिया के रामबाग अवस्थित ग्रीन हाउस में देश के चर्चित कथाकार दीर्घ नारायण की की कहानी ‘मेरी भी सुनो डार्विन’ का कथा पाठ का आयोजन

पूर्णिया संवाददाता

कथा गोष्ठी के आयोजन में लेखक की मौजूदगी में डॉ कमल किशोर चौधरी ने अपने मुखारविंद से कथा का पाठ किया। उपरांत उपस्थित रचनाकारों ने कथा परिक्रमा के तहत अपनी अपनी राय, कहानी के संदर्भ में व्यक्त की । सभी ने इस कहानी को मौजूदा दौर में एक मौजू कहानी के रूप में परिभाषित किया । आयोजित गोष्टी की अध्यक्षता आकाशवाणी के अवकाश प्राप्त निदेशक विजय नंदन प्रसाद ने की तथा मंच संचालन कवि व रंगकर्मी उमेश आदित्य ने किया । मुख्य वक्ता के रूप में पूर्णिया महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर मोहम्मद कमाल, कथाकार चंद्रकांत राय , सुरेंद्र शोषण, कवि गौरी शंकर पर्वोत्तरी, संजय सनातन, डॉ राम भक्त, गोपाल चंद्र घोष मंगलम, कमल किशोर चौधरी, किरण झा ‘किरण’,विमल कुमार ‘विमल’ कपिदेव महतो कल्याणी,कैलाश बिहारी चौधरी,गोविन्द कुमार, मौजूद थे । कथाकार दीर्घनारयण ने अपनी कहानी के संदर्भ में अपनी बातों को रखते हुए यह भी जानकारी दी, कि यह कहानी पाखी में प्रकाशित हो चुकी है । मूल रूप से कहानी में दर्शाया गया है, कि किस प्रकार एक नारी पुरुष के प्रेम व बहकावे मैं पड़कर पीड़ा की भागी बनती है । यह कहानी चार मुख्य पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें मुख्य रूप से नारी पात्र रति और तीन पुरुष पात्र मनस्व, नमन और चंद्रेश शामिल हैं । इन्ही पत्रों के इर्द गिर्द पूरी कहानी है । इस कहानी में लेखक के द्वारा नाड़ी के प्रेम की वेदना, नारी मन की पीड़ा, और औरतों के प्रति मर्दों का पल्ला झाड़ वाली मनोवृति का चित्रण बखूबी किया गया है । कहानी की मुख्य पात्र रति सच्चे प्यार को पाने के लिए पहले मनस्व फिर नमन और चंद्रेश के प्रेम में पड़ जाती है । लेकिन तीनों ही उसे भोग की वस्तु हीं समझते हैं । जिसकी वजह से रति को प्रेम में पड़कर असहनीय पीड़ा का सामना करना पड़ता है । दरअसल लेखक ने अपनी इस कहानी के माध्यम से यह संदेश दिया है, कि प्रेम की भी अपनी सीमाएं होती है । इसलिए किसी भी स्त्री को प्रेम में पड़कर ऐसी किसी भी स्थिति को जन्म नही देना चाहिए, जिसकी वजह से उसे मानसिक वेदना का शिकार होना पड़ जाए । इसके लिए लिए अपनी सभ्यता और आचरण पर विचार करते हुए ही प्रेम करना सही होता है । साथ ही लेखक पुरुषों के मन में पलने वाली नाड़ी शोषण की भावना को भी बखूबी दर्शाया है ।
इस कहानी में यह दर्शाया गया है किस प्रकार रति नाम की एक स्त्री तीन अलग अलग पुरुष के प्रेम में पडती है और फिर उनके कुच्छित व्यबहार से वेदना की शिकार बनती है, जिससे उसे जीवन मे कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है ।
इस मौके पर कवि दिनकर दीवाना, रंजीत तिवारी, सुनील समदर्शी, सुमित प्रकाश, ललन कुमार, अरुण कुमार, विभूति प्रसाद , नीलम अग्रवाल, श्वेत साक्षी व कुंदन कुमार भी मौजूद थे ।
कुल मिलाकर लंबे अंतराल के बाद, पूर्णिया में आयोजित कटकर दीर्घ नारयण की यह कथा गोष्टी अपने आप में सफल कार्यक्रम रही ।

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