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लिवर फिट तो सेहत हिट : डॉ. अनेजा

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

कुरुक्षेत्र : डॉ. अनेजा ने बताया कि हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य बस ल‍िवर की बीमारियों के बारे में लोगों को जागरुक करना है। ये द‍िना लोगों को हेल्‍दी लाइफस्‍टाइल अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है। इस साल व‍िश्‍व लिवर दिवस 2025 की थीम भोजन ही औषधि है। रिपोर्ट के अनुसार, अनुमान है कि 1.5 बिलियन लोग क्रोनिक लिवर रोग से प्रभावित हैं। लिवर 500 से अधिक आवश्यक कार्यों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जिसमें रक्त को डिटॉक्सीफाई करना और पाचन में सहायता करना, पोषक तत्वों को संग्रहीत करना और प्रतिरक्षा का समर्थन करना शामिल है।
डॉ. अनेजा, सीनियर मेडिकल ऑफिसर, एडमिनिस्ट्रेटर और RSSDI के सदस्य हैं, ने बताया कि “हेपेटिक स्टीटोसिस” जिसे आमतौर पर फैटी लिवर के नाम से जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें लिवर में वसा का निर्माण होता है। सामान्य रूप से लिवर में थोड़ी मात्रा में वसा का होना सामान्य और स्वस्थ माना जाता है। लेकिन जब वसा की मात्रा बढ़कर एक निश्चित सीमा से अधिक हो जाती है, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। लिवर हमारे शरीर का दूसरा सबसे बड़ा अंग है और इसका मुख्य कार्य शरीर में पोषक तत्वों को संसाधित करना और रक्त से विषाक्त पदार्थों को फिल्टर करना है। जब लिवर में अधिक वसा जमा हो जाती है, तो यह सूजन का कारण बन सकती है, जो धीरे-धीरे लिवर को नुकसान पहुंचाती है। इससे घाव बन सकते हैं और गंभीर मामलों में यह लिवर फेल्योर का कारण भी बन सकता है।
डॉ. अनेजा ने बताया कि हेल्दी लिवर के लिए हेल्दी डाइट बहुत जरूरी है। खान-पान में हेल्दी फूड्स शामिल न होने की वजह से लिवर को नुकसान पहुंचता है और बीमारियों का खतरा बढ़ता है। डॉ. अनेजा ने बताया कि कुछ ऐसे फूड्स, जो लिवर को हेल्दी बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
ब्रोकली, पत्ता गोभी, गोभी और केल जैसी हरी सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। ये लिवर को डिटॉक्सीफाई करने और उसकी काम करने की क्षमता बढ़ाने में मदद करती हैं। हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक्टिव कंपाउंड होता है, जो लिवर की सूजन को कम करता है और उसकी मरम्मत में मदद करता है। दूध या खाने में हल्दी को नियमित डाइट में शामिल करना लिवर के लिए फायदेमंद है।अखरोट, फ्लैक्ससीड्स, चिया सीड्स और फैटी फिश (जैसे सालमन और मैकेरल) में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो लिवर में जमा फैट को कम करता है और उसे स्वस्थ रखता है।सेब में पेक्टिन फाइबर होता है, जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। एवोकाडो में ग्लूटाथियोन एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो लिवर को डैमेज होने से बचाता है।विटामिन-सी से भरपूर नींबू और संतरा लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करते हैं। सुबह गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पीने से लिवर स्वस्थ रहता है।ऑलिव ऑयल में हेल्दी फैट्स होते हैं, जो लिवर पर जमा टॉक्सिन्स को कम करते हैं। इसे सलाद या खाना बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
लिवर के लिए हानिकारक फूड्स :
अल्कोहल- शराब पीने से लिवर सिरोसिस और फैटी लिवर की समस्या हो सकती है। प्रोसेस्ड फूड- पैक्ड फूड, फास्ट फूड और तले-भुने स्नैक्स में ट्रांस फैट होता है, जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है।
ज्यादा नमक- ज्यादा नमक खाने से लिवर में पानी जमा हो सकता है, जिससे सूजन की समस्या होती है।
शुगर वाली ड्रिंक्स- कोल्ड ड्रिंक्स और पैक्ड जूस में हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप होता है, जो लिवर के लिए हानिकारक है।
फैटी लिवर के प्रकार।
अल्कोहलिक फैटी लिवर (AFLD) यह उन व्यक्तियों में होता है जो अत्यधिक शराब का सेवन करते हैं।
नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर (NAFLD)
यह उन व्यक्तियों में होता है जो शराब का सेवन नहीं करते हैं, लेकिन अन्य कारणों से लिवर में वसा जमा हो जाती है।
फैटी लिवर के लक्षण।
अधिकांश मामलों में फैटी लिवर के कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन कुछ लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं: अत्यधिक थकावट,पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में हल्का दर्द या असुविधा,
शरीर में भारीपन महसूस होना।
फैटी लिवर के कारण।
गैर-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) के मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं: मोटापा या अत्यधिक वजन, टाइप 2 डायबिटीज, इंसुलिन प्रतिरोध,खराब कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर,कमजोर चयापचय (मेटाबॉलिज्म),
गर्भावस्था, कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव, हेपेटाइटिस सी या आनुवांशिक बीमारियां।
फैटी लिवर का उपचार।
फैटी लिवर के लिए फिलहाल कोई विशेष दवा उपलब्ध नहीं है। हालांकि, कुछ जीवनशैली में बदलाव करके इस स्थिति को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है। डॉक्टर आमतौर पर निम्नलिखित सुझाव देते हैं : शराब का सेवन पूरी तरह से बंद करें।
वजन घटाने पर ध्यान दें।
अपने आहार में सुधार करें।
लिवर पर बुरा प्रभाव डालने वाली दवाओं और पूरक आहार से बचें।
हेपेटाइटिस ए और बी के लिए टीकाकरण कराएं और हेपेटाइटिस सी की नियमित जांच कराएं।
निष्कर्ष – फैटी लिवर एक सामान्य लेकिन गंभीर समस्या बन सकती है यदि इसका समय पर ध्यान न दिया जाए। स्वस्थ जीवनशैली, संतुलित आहार और नियमित स्वास्थ्य जांच इसके प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकते हैं। लिवर की देखभाल करें, क्योंकि “लिवर फिट तो सेहत हिट”।

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