हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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दूर दराज से आये उच्च कोटि के संत महात्माओं ने की शिरकत।
कुरुक्षेत्र पिहोवा :- माँ सरस्वती की नगरी श्री दक्षिणा काली पीठ मंदिर परिसर में श्री आकाश भैरव पक्षिराज प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव मंदिर के महंत बंशीपुरी जी महाराज के सानिध्य में बड़ी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। समारोह में भगवान पक्षिराज मंदिर में प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठा श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव महंत रविंद्र पुरी महाराज द्वारा एवं मंदिर का अनावरण श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरी जी महाराज द्वारा किया गया। इस भव्य धार्मिक कार्यक्रम में देश भर से उच्च कोटि के संत-महात्मा और विभिन्न प्रांतों से भक्तजन शामिल हुए।
उत्तर भारत के प्रख्यात यज्ञाचार्य, ज्योतिषाचार्य डा. अभिषेक कुश के मार्गदर्शन में कई विद्वान ब्राह्मणों द्वारा शांति पाठ, श्री पक्षीराज यंत्र पूजन एवं हवन प्रायश्चित व पंचांग पूजन, कर्म कुटि मंडल पूजन एवं पूर्णाहुति की क्रियाएं पूरे विधि विधान से सम्पन्न करवाई गई। महंत रविन्द्र पुरी ने कहा कि पुराणों के अनुसार नृसिंहवतार के समय भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान नृसिंह द्वारा हिरण्यकशिपु का वध करने पर भगवान नृसिंह की उग्रता शांत नहीं हो पा रही थी तब देवताओं के आग्रह पर भगवान शिव एक विचित्र पक्षी का रूप धारण कर श्री नृसिंह को अपनी चोंच मार कर मूर्छित कर दिया तथा उन्हें अपने पंजों में उठाकर आकाश में लेकर उड़ गए। शरभ पक्षी रूपधारी शिव ने आकाश में उड़ते हुए भीषण चक्कर लगाने शुरू कर दिए और नृसिंह के उग्र स्वरूप से भी कहीं ज्यादा उग्र रूप धारण किया। जिससे नृसिंह ने शांत होकर शरभ रूपी शिव की स्तुति की और अपने उग्र रूप का विसर्जन किया। महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरी ने श्रद्धालुओं के बीच धर्म पर चर्चा करते हुए कहा कि हिन्दू धर्म के अनुसार भक्त भगवान के द्वार पर यानी मंदिर में किसी भी समय जा सकते हैं। भगवान का ध्यान पूजन करने के लिए समय का कोई बंधन नहीं है। भक्त को जब समय मिले तभी वह अपने अराध्य की उपासना कर सकता है क्योंकि हिन्दू धर्म की मान्यता है कि ईश्वर कण-कण, हर क्षण में एवं हर स्थान पर मौजूद हैं। स्वामी खटवांग पुरी व स्वामी महेश पुरी ने आए हुए संत महात्माओं व गण्यमान्जनों का आभार व्यक्त किया। महंत बंसी पुरी ने कहा कि भगवान पक्षीराज की दस महाविद्या में इनकी साधना का अपना एक महत्व है। उन्होंने बताया कि भगवान पक्षीराज परम दयालु है वे अपने भक्तों को ही नही बल्कि अन्य देवों के भक्तों की भी रक्षा कर मनोकामना पूर्ण करते है। भगवान पक्षीराज के उपासकों पर सभी देवता एवं कृपा करते है। भगवान पक्षरीज को शिव के अंश वीरभद्र का अवतार भी माना गया है। कार्यक्रम में संत महात्माओं ने शरभेश्वर आकाश भैरव पक्षीराज तन्त्रम रहस्यम् नामक पुस्तिक का विमोचन किया। इस अवसर पर महंत गंगा सागर भारती कुरुक्षेत्र, महंत भीम पुरी बगुलामुखी धाम, महंत जगन्नाथ पुरी, महंत विश्वनाथ गिरीअरुणाय, महंत लक्ष्मीनारायण पुरी, महंत सर्वेश्वरी गिरी श्री गोविन्दा आश्रम, संत आत्म विभोर पुरी श्री अद्वैत स्वरूप अनंत आश्रम, स्वामी वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक माँ बनभौरी शक्ति पीठ,स्वामी वेद पुरी शिवशक्ति पीठ अरुणाय, महंत अनूप गिरी, स्वमी कर्ण पुरी दक्षिण काली पीठ करनाल, स्वामी लाल गिरी, स्वामी चमन गिरी, स्वामी रंगनाथ पुरी, स्वामी प्रमोद पुरी कर्मचारी चयन आयोग के पूर्व चेयरमैन भारत भूषण भारती, निगरानी कमेटी के संयोजक युधिष्ठिर राय बहल, संगमेश्वर सेवादल प्रबंधक भूषण गौतम, विकल चौबे, शंभू दत्त गौतम, मनीष जिंदल विपिन काहड़ा, नरेश चक्रपाणि, मिथुन अत्री, जगदीश चंद, बलदेव गर्ग, फकीरचंद डोलिया, देव पूर्णिमा, अवतार वालिया, विक्रम चक्रपाणि, मामराज मंगला, विनोद पंचौली सहित अनेकों श्रद्धालु उपस्थित थे।
पिहोवा में भगवान पक्षीराज की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा में भाग लेते संत महात्मा व पुस्तिका का विमोचान करते संत महात्मा।