हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : श्री दुर्गा देवी मंदिर पिपली में पीठाधीश डॉ. सुरेश मिश्रा के निर्देशन में देवप्रबोधिनी एकादशी को भक्तों ने सामूहिक रीति से भगवान शालिग्राम और तुलसी जी का वैदिक शास्त्रों अनुसार विवाह किया गया। कार्तिक शुक्ल एकादशी को देवत्व प्रबोधन एकादशी मनाई जाती है। मान्यता है कि देव प्रबोधन मंत्रों से दिव्य तत्वों की जागृति होती है।
मुख्य यजमान राकेश अरोड़ा, निशा अरोड़ा और रिया अरोड़ा ने सपरिवार से पंडित राहुल मिश्रा ने वैदिक मंत्रोचारण पूजा करवाई।
डॉ. सुरेश मिश्रा ने बताया कि आज भगवान विष्णु जाग रहे है। तुलसी और विष्णु के विवाह के साथ ही आज से शादियों का मौसम शुरू हो रहा है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवप्रबोधिनी एकादशी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार देवप्रबोधिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महिनों की नींद से जागते हैं। इसे देवोत्थापनी या देवउठनी एकादशी भी कहते है।
बैंड बाजे के साथ नगर खेड़े से भगवान सालिग्राम की बारात निकाली गयी जिसमें सतपाल धर्मसोत , सतपाल सैनी ,सतपाल बंसल ,महेंद्र ,मोहित बंसल,सुमित गोयल आदि सम्मिलित रहे।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार कार्तिक शुक्ल एकादशी को पूजा-पाठ, व्रत-उपवास किया जाता है I इस तिथि को रात्रि जागरण भी किया जाता है। देवप्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को धूप, दीप, नैवद्य, पुष्प, गंध, चंदन, फल और अर्घ्य आदि अर्पित किया भगवान विष्णु जी की प्रसन्नता हेतु सुमित्रा पाहवा,चम्पा देवी गुप्ता ,शिमला धीमान ,पायल सैनी,ऊषा शर्मा ,आशा कवात्रा, शांता कंसल,अरुणा पाहवा , सीमा परुथी, कोमल मेहरा और पूजा तलवाड़ आदि ने संकीर्तन किया।