शीतला माता मंदिर में चल रही सात दिवसीय श्री राम कथा में भगवान श्री राम के वनवास और उसके आध्यात्मिक महत्व को किया गया प्रस्तुत

(पंजाब) फिरोजपुर 28 नवंबर [कैलाश शर्मा जिला विशेष संवाददाता]=
फिरोजपुर के माता शीतला मंदिर में हो रही सात दिन की श्री राम कथा की आज की कहानी भगवान राम के वनवास और उसके आध्यात्मिक महत्व पर केंद्रित थी। मुख्य वक्ता, सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या परम शिश प्रज्ञा चक्षु साध्वी शची भारती जी ने भगवान राम के जीवन के अंतरंग पहलुओं को बहुत खूबसूरती और आध्यात्मिक रूप से बताया।
साध्वी शची भारती जी ने समझाया कि राम का वनवास सिर्फ एक राजकुमार का वन जाना नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था कि धर्म और कर्तव्य सबसे बड़े हैं। राजगद्दी के बदले वनवास स्वीकार करके राम ने मानवता को सिखाया कि सच्चाई का रास्ता हमेशा त्याग, सहनशीलता और मर्यादा से सजा होता है।
आज की कहानी में, अहिल्या जी के उस श्राप से मुक्ति की कहानी, जिसने उन्हें पत्थर बना दिया था, ने सभी का मन मोह लिया। जैसे भगवान राम जी अहिल्या के पैर छूते हैं और वह तुरंत श्राप से मुक्त हो जाती हैं—यह दृश्य भगवान की दया की अविश्वसनीय महानता को दिखाता है। इस संदर्भ में साध्वी शची भारती जी ने कहा कि जैसे अहिल्या का उद्धार हुआ, वैसे ही भगवान हमारे मन के रोग, वासना, परेशानी और अज्ञान को दूर करने के लिए एक पूर्ण गुरु के रूप में धरती पर आते हैं। गुरु की कृपा ही वह शक्ति है जो मन को शुद्ध करती है और जीवन को भवसागर से पार उतार देती है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह भगवान राम जी के चरणों की धूल ने अहिल्या का जीवन बदल दिया, उसी तरह एक पूर्ण गुरु की कृपा जीवन को नई चेतना, प्रकाश और शांति से भर देती है।
सभा की शुरुआत साध्वी चित्रा भारती जी, साध्वी साध्या भारती जी और साध्वी भगवती भारती जी के भजन कीर्तन से हुई। उनके मधुर और सुरीले भजनों ने मंडप में भक्ति का माहौल बना दिया और संगत को भगवान के चिंतन में डुबो दिया।
इस अवसर पर स्वामी चंद्रशेखर जी ने अपना आशीर्वाद देते हुए कहा कि हर युग में भगवान अवतार लेते हैं ताकि वे धरती पर पीड़ित और खोए हुए प्राणियों की रक्षा कर सकें। भगवान इंसान को सच्चाई के रास्ते पर चलने, धर्म का पालन करने और अपना जीवन सेवा और ध्यान में बिताने की प्रेरणा देने के लिए ही अवतरित होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर इंसान अच्छे कर्म अपना ले, तो जीवन आसान और रूहानी तौर पर ऊंचा हो जाता है।
दिन की कथा का समापन भक्ति आरती के साथ हुआ। संगत ने राम नाम के भजन की धुन में खुद को डुबो दिया, आशीर्वाद लिया और रूहानी शांति का अनुभव किया। सभी के लिए लंगर का इंतज़ाम किया गया था।




