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महारास में दिखा प्रेम-प्रसंग तो विवाह में जमकर थिरके श्रद्धालु
जालौन,कोंच नगर में महाकालेश्वर मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा में 6वे दिन भगवताचार्य प्रख्यात सन्त दीनबन्धु दास महाराज ने महारास,गोपी गीत और रुक्मणि विवाह की कथा सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया कथा व्यास ने महारास प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि रास का अर्थ आनन्द का समूह महारास कोई नर नारी का मिलन नही है ये तो आत्मा और परमात्मा का मिलन हैं आत्मा और परमात्मा जहाँ मिलते हैं वही महारास है उन्होंने भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि की कथा पर भी प्रकाश डाला रुक्मणि विवाह का जीवंत झांकी सजाई विवाह में संगीतमयी भजनों पर श्रद्धालु खूब झूमे
अखिल भारतीय सनातन धर्म रक्षिणी सेवा समिति के तत्वधान में आयोजित श्री मद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास जी दीनबन्धु दास महाराज ने कहा महारास में भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजा कर गोपियों का आव्हान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का मिलन हुआ जीव और ब्रह्मा के मिलने को ही महाराष्ट्र कहते हैं कान्हा के द्वारा किया गया महाराज बहुत ही मनोहर व प्रेम से परिपूर्ण था जिसकी केवल कल्पना मात्र से ही यह सबके हृदय को भावपूर्ण कर देता है तो सोचिए जो इसकी साक्ष्य बनी थी उन गोपियों की क्या दशा हुई होगी संगीतमय भजनों पर श्रोता खूब झूमे अंत में परीक्षित गरिमा सुरेंद्र तिवारी ने भगवान जी की आरती उतारी प्रसाद वितरण किया गया