हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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कुरुक्षेत्र : मां बगलामुखी उपासक गुरुकृपा ज्योतिष केंद्र के संचालक स्वामी संयोगानंद ज्योतिषाचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि माँ बगलामुखी दश महाविद्या में से एक हैं और इन्हें स्तम्भन की देवी भी कहा जाता है। ये संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश हैं। माता बगलामुखी की उपासना शत्रुनाश, वाकसिद्धि और वाद-विवाद में विजय पाने के लिए की जाती है। इनकी कृपा से भक्त का जीवन हर प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।
स्वामी संयोगानंद ने बताया कि माँ बगलामुखी साधना के नियम और विधियां
माँ बगलामुखी की साधना अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है, लेकिन इसे कुछ नियमों का पालन करते हुए ही करना चाहिए।
ब्रह्मचर्य का पालन: साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है।
पीले वस्त्र: साधना के समय पीले रंग के वस्त्र ही धारण करने चाहिए।
एक समय भोजन: एक समय बिना शक्कर और नमक के भोजन करना चाहिए या केवल फलहार ही लेना चाहिए।
मंत्र जप: गुरु दीक्षा में विधिवत प्राप्त किया हुआ माँ बगलामुखी मंत्र का नियमित रूप से जाप करना चाहिए।
यंत्र पूजन: माँ बगलामुखी यंत्र का पूजन करना विशेष लाभदायक होता है।
शुद्ध मन: साधना के दौरान मन को शुद्ध रखना और किसी भी प्रकार के विकार से दूर रहना चाहिए।
साधना का समय: मंत्र जप के लिए रात्रि के 10 बजे से प्रातः 4 बजे का समय श्रेष्ठ माना जाता है।
साधना का स्थान: साधना एकांत में, मंदिर में, गोशाला में ‘ किसी तीर्थ सरोवर के तट पर हिमालय पर या किसी सिद्ध पुरुष के साथ बैठकर की जानी चाहिए।
साधना के लाभ: माँ बगलामुखी साधना से शत्रुओं का दमन होता है, वाकसिद्धि प्राप्त होती है, वाद-विवाद में विजय मिलती है और जीवन में हर प्रकार की बाधा दूर होती है।
सावधानियां : माँ बगलामुखी की साधना को विधि-विधान से करना चाहिए। किसी भी प्रकार की गलती करने से हानि हो सकती है। इसलिए किसी अनुभवी गुरु का मार्गदर्शन लेना आवश्यक है।
विशेष नोट : माँ बगलामुखी साधना एक गंभीर विषय है। गुरु के मार्गदर्शन में करें l
पंडित संयोगानंद तंत्रज्ञ
श्री बगलामुखी उपासक
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