एम ए ; बी ए; एम ए; बी ए. तलाक विवाह तलाकएक राजनैतिक अपरिपक्वता पुलवामा पहलगाम संसद वक़्फ धनखङ निशिकांत दुबे

एम ए ; बी ए; एम ए; बी ए. तलाक विवाह तलाक
एक राजनैतिक अपरिपक्वता पुलवामा पहलगाम संसद वक़्फ धनखङ निशिकांत दुबे।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
प्रस्तुति : डॉ. महेंद्र शर्मा।
पानीपत : यह विषय ही राष्ट्र को ले डूबे ब्राह्मणों के चुप रहने का अर्थ सदैव मौन स्वीकृति नहीं होता, ब्राह्मण तो सदैव चिंतन में लीन रहते हैं, समय आने पर जागृत हो जाते हैं … 7 अक्तुबर 2024 के बाद आज ही कलम जागी है जो कि न उम्मीदी मे सो रहीं थी कि व्यवस्था ऐसी बनती जा रहीं है कि चाह कर भी इसमें कोई परिवर्तन नहीं हो सकता लेकिन अपना दायित्व तो निभाना ही होगा।
जब से राष्ट्र का विभाजन हुआ है उसी दिन से ही भारत की पाकिस्तान के साथ आर्थिक धार्मिक और राजनैतिक विषयों पर नैसर्गिक शत्रुता है l तीन बार युद्ध भी हो चुके हैं, यद्यपि 1971 के पाकिस्तानी गृहयुद्ध में भारत ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर उसका मनोबल तोड़ा भी है, कश्मीर के शीर्ष कारगिल युद्ध में भी पाकिस्तान को बुरी तरह से मुहं की खानी पड़ी है, दुनियां जानती है कि महर्षि कश्यप की तपोभूमि है, कश्मीर की आध्यात्मिकता की सर्वोच्च विद्वता की शारदा ज्ञानपीठ जगद्गुरु आध्यगुरु शंकराचार्य जी की तपोभूमि है और कश्मीर भारत का मुकुट है और इस क्षेत्र की तुलना हम स्वर्ग (जन्नत) से करते हैं। यदि हम ने साहित्य का अध्ययन किया होता तभी तो उस अध्ययन को स्वयं पर क्रियान्वित करते कि …
अग्नि: शेषं ऋणं शेषं शेषं शत्रु तथैव च।
पुनः पुनः प्रवर्धेत शेषं न कारयेत्।।
यदि हमने श्रीमती इंदिरा गांधी की तरह अध्ययन किया होता तो यह कोई हास्य का विषय नहीं है.. एम ए; बी ए; एम ए ; बी.ए. बार बार न होता l हमने तो अपने राजनैतिक संतुलन को साधने और सत्ता प्राप्ति के लिए राष्ट्रवादी शेष समस्त गैर हिन्दुओं को प्रताड़ित कर के अपना राष्ट्रीय शत्रु बना लियाl मैं तो कट्टर ब्राह्मण हूं और सदैव अध्ययनरत रहने का प्रयास करता हूं , राजनीति तो ब्राह्मणों का रक्तबीज है, इसे हम ब्राह्मणों को समझने समझाने की आवश्यकता नहीं … एक पौराणिक कथानक गाधीपुत्र राजकुमार विश्वामित्र ब्रह्मर्षि वशिष्ठ जी के आश्रम से कामधेनु नंदिनी को खड़क के बल से बलात अपहरण कर के ले जाते हैं तो वशिष्ठ जी रोते बिलखते कामधेनु नंदिनी से मन ही मन क्षमा मांगते हुए कहते हैं … हे जगदीश्वरी! यह ब्राह्मण तुम्हारी रक्षा न कर सका इस लिए … हे देवी ! तुम अपनी रक्षा करते हुए वापिस इसी आश्रम में लौट आओ … जब यह प्रार्थना कामधेनु ने सुनी तो उसके नथुनों से असंख्य सशस्त्र घुड़सवार सैनिक प्रकट हुए जिन्होंने विश्वामित्र की सेना को परास्त कर दिया और कामधेनु वशिष्ठ जी के सेवाश्रम में वापस लौट आई l यह था सेवाश्रम की सुरक्षा का विज्ञान कि रक्षा व्यवस्था कैसी होती है और यह कैसी होनी चाहिए लेकिन पहलगाम में घटनास्थलपर कोई सुरक्षाव्यवस्था नहीं थीl य़ह सभी जानते है कि जब सर्दियों के बाद बर्फ पिघलती है तो आंतकवादी घुसपैठ करते हैं , आप तो सोये हुए थे।
लेकिन हम तो केवल राजनैतिक बयानबाजी तक सीमित हैं, राजनीति में किसी को बाहर तो जो मर्जी कहा जाए आप तो संसद में कश्मीर को पूरी तरह से सुरक्षित बता रहे थे … क्या सुरक्षा व्यवस्था इसको कहते हैं कि जिन बालकों के विवाह को अभी दस दिन ही नहीं हुए थे आपने उनके परिवारों को अनाथ कर दिया, बालिकाएं बालविधवा बना दी। अब नाटक हो रहा है … वीज़ा बंद, सिंधु जल संधि रद्द … इससे क्या होगा कि क्या इससे विधवा बालिकाएं सधवा हों जाएंगी या किसी के पुत्र वापिस लौट आयेंगे। आप तो बस हर अवसर को राजनैतिक दृष्टि से देख कर अपरिपक्व फरमान जारी कर विषय की लीपापोती करेंगे, अभी तक पुलवामा हत्याकांड के सुराग नहीं मिले और पहलगाम हो गया … तब आम चुनाव थे और अब प्रदेशों में चुनाव हैं … ऐसे अवसरों पर ऐसे घटनाक्रम क्यों होते हैं… यह भी बुद्धिजीवियों के लिए चिन्तन का विषय है।
आप तो उस मुस्लिम युवक की तरह एम ए; .बी.ए; का मंतव्य शिक्षा की डिग्री से नहीं था कि वह अधिक पढ़ा लिखा है एम ए के बाद बी ए अपितु उसका मंतव्य यह था मैरिज अगेन और बीवी को छोड़ने या उसके मरने के बाद .बेचलर अगेन था जितनी बार उसके नाम के नीचे यह क्रम लिखा था उसने उतनी बार विवाह किए थे l आज सरकारी घोषणा हो रही है यह बंद वो बंद… दो साल दोनों देशोंके शिष्ट मण्डल बैठेंगे कि शान्ति का मार्ग तलाशा जाए … वही .मैरिड.अगेन…
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर इतना विदेशी ऋण चढ़ चुका है कि सरकार नौकरियों में कटौती कर रही है, नौकरियों के बाद की पेंशन व्यवस्था नहीं हो सकती इसलिए अग्निवीर योजना ला रही है। आज के भारत में आम जनमानस के लिए शिक्षा,भोजन और समुचित चिकित्सा व्यवस्था एक दिवास्वप्न बन कर रह गई है। यदि देश में शिक्षा व्यवस्था ठीक होती तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के प्राकट्य पर हम हर घर, मोहल्लों और मन्दिरों में श्री रामचरित मानस का पाठ करके मर्यादा की शिक्षा लेते न कि सड़कों पर तलवार लेकर नारे लगाते।
काश! कि हमारे देश में आम नागरिकों के लिए निशुल्क चिकित्सा व्यवस्था होती तो हम स्वस्थ्य होते और हमारी कार्य क्षमता बढ़िया होती ऐसा कार्य करने में यह सरकार पूरी तरह से विफल रही है, तभी तो 80 करोड़ लोगों को 5 किलो राशन मुफ़्त बांट रही है l धर्म के नाम परस्पर अविश्वास क्रोध और प्रतिशोध ऐसी गलत राजनीति तो हम स्वयं कर रहे हैं … धर्म की बात करते हैं लेकिन शास्त्रों को नहीं पढ़ते … क्या हमारे संत महापुरुषों ने आजतक श्री गीता पर प्रवचन देते हुए सनातन धर्मियों को यह बताया कि इन श्लोकों के क्या अर्थ हैं …
यदा यदा हि धर्मस्य …
अन्यन्याश्चचिंत्यते मां …
मय्येव मन: …
सर्वधर्मांन् परितज्य …
और अपिचेत्सु दुराचारो …
तो फिर हम भगवान की इस गारन्टी पर विश्वास क्यों नहीं करते कि धर्म की पुनर्स्थापना तो ईश्वर स्वयं करते हैं , उन्होंने किसी और को ऐसा दायित्व नहीं दिया है …हम इस कृत्य के लिए अपनी आध्यात्मिक और शैक्षणिक ऊर्जा का दुरुपयोग कर रहे हैं कि हम धर्म की पुनर्स्थापना कर लेंगे जब कि गीताजी में यह स्पष्ट आदेश है कि इस कार्य के लिए तो केवल और केवल ईश्वर ही अधिकृत हैं … दूसरा कोई नहीं तो घटनाक्रम बार बार हो रहे हैं यह.मैरिज अगेन बैचलर अगेन इसलिए हो रहा है कि हम ईश्वरीय विधान को नहीं मानते l लेकिन यह प्रकरण कोई आज से नहीं चल रहा कि यह कोई नई बात हो आजादी से मुस्लिम लीग और हिन्दू महासभा ने मिल कर बनाई तो फिर आजादी में टू नेशन थ्योरी क्यों, प0 अटल बिहारी जी की जिस सरकार में मुफ्ती महमूद प्रकरण में आंतकवादियों को काबुल में जा कर छोड़ना पड़ा उसीके साथ मिलकर कश्मीर में सरकार क्यों बनाई और पाकिस्तान ने अटल जी के करगिल युद्ध का धोखा किया था उसी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के घर बिन बुलाए मेहमानी क्यों ? .फिर वही शादी और तलाक यही। तो हमारा इतिहास है l भारतीय राजनीति में हर विषय चिंतन का विषय होता है. जिस पर चर्चा होती रहती हैं
अग्नि: शेषं ऋणं शेषं के अर्थ कैसे समझाए जाएंगे कि इनके प्रयोग कैसे हों कब हों … बस और शोर के बल पर राजनीति कभी भी सफ़ल नहीं हो सकती l आज के दिन पूरा राष्ट्र आक्रोशित है उग्रवाद के इस जघन्य काण्ड और राजनैतिक अपरिपक्वता पर … दिवंगत आत्माओं की परम शान्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना, प्रभु शोक संतप्त परिवारों को इस असह्य दुख को सहन करने की शक्ति दें तथा राष्ट्र को अपरिपक्वता से सबलता की ओर का मार्ग दिखलायें l
हरि ॐ तत्सत्
श्री. निवेदन श्री गुरु शंकराचार्य पदाश्रित आचार्य डॉ. महेन्द्र शर्मा ‘महेश’ पानीपत दूरभाष :
92157 00495