षडदर्शन साधुसमाज के उपाध्यक्ष महंत गुरुभगत सिंह ने दी लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं

षडदर्शन साधुसमाज के उपाध्यक्ष महंत गुरुभगत सिंह ने दी लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनाएं।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों में है लोहड़ी व मकर सक्रांति का विशेष महत्व : महंत गुरुभगत सिंह।
श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के महंत गुरुभगत सिंह जी अखाड़े में आए श्रद्धालुओं का करते है गर्मजोशी से मेहमाननबाजी।

कुरुक्षेत्र, 13 जनवरी : श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के महंत एवं षडदर्शन साधुसमाज के उपाध्यक्ष महंत गुरुभगत सिंह जी महाराज ने सभी देश व प्रदेशवासियों को लोहड़ी एवं मकर सक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं दी। उन्होंने निर्मल पंचायती अखाड़े में पहुंचे श्रद्धालुओं एवं सेवकों को लोहड़ी पर्व के लिए प्रसाद स्वरूप मूंगफली, रेवड़ी, तिल की मिठाई बांटते हुए कहा कि अपनी अपनी क्षमता अनुसार जरूरतमंदों का सहयोग करें। अगर आप के थोड़े से सहयोग से किसी के जीवन में खुशियां आती हैं तो जीवन सार्थक होता है। इस संदेश को अपने जीवन में अपनाना और सबको बताना हमारा फर्ज है। महंत ने कहा कि लोहड़ी अपने साथियों, परिवार वालों, सगे संबंधियों और पड़ोसियों के साथ मिलजुल कर मनाएं। इसके उपरांत मकर संक्रांति का विशेष महत्व बताते हुए महंत ने कहा कि हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्मकता को समाप्त करने का दिन भी मानते हैं। उन्होंने कहा कि यह एकमात्र ऐसा त्यौहार है, जिसे संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है। चाहे इसका नाम व मनाने का तरीका कुछ भी हो। इस त्यौहार को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में, तो आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में केवल संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। जबकि बिहार और उत्तरप्रदेश में इस त्यौहार को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है। महंत ने बताया कि हिन्दू धर्म में महीने को दो पक्षों में बांटा गया है, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। ठीक इसी तरह से वर्ष को भी दो अंगों में बांटा गया है, उत्तरायण और दक्षिणायण। यदि दोनों को मिला दिया जाए तो एक वर्ष पूर्ण हो जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ हो जाती है। इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते हैं।
श्री निर्मल पंचायती अखाड़े के महंत गुरुभगत सिंह जानकारी देते हुए व लोहड़ी पर्व पर पूजन करते हुए।

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