महंत जगन्नाथ पुरी ने किया दर्श अमावस्या का पूजन एवं बताया महत्व

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

दर्श अमावस्या के दिन भगवान शिव व माता तुलसी की पूजा अर्चना विधिपूर्वक होती है।

कुरुक्षेत्र, 7 मई : अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी व अन्य संतों के सानिध्य में मंगलवार को दर्श अमावस्या का पूजन प्रारम्भ हुआ। इस पूजन का समापन बुधवार 8 मई को होगा। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि दर्श अमावस्या का हिंदू धर्म में बेहद विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चांद पूरी तरह से गायब हो जाता है जो जीवन में खुशहाली लाने का संकेत है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा का भी बहुत महत्व होता है। महंत जगन्नाथ पुरी ने कहा कि श्रद्धालुओं द्वारा सच्चे मन से भगवान शिव एवं माता तुलसी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। सोमवती अमावस्या की भांति तीन अन्य अमावस्या भी होती हैं। पहली सिनीवाली अमावस्या, दूसरा दर्श अमावस्या और तीसरा कुहू अमावस्या होती है। उन्होंने बताया कि यदि सूर्योदय से पूरी रात अमावस्या रहे तो उसे सिनीवाली अमावस्या कहा जाता है। चतुर्दशी तिथि को अमावस्या पड़े तो उसे दर्श अमावस्या कहा जाता है। जबकि प्रतिपदा तिथि के साथ अमावस्या पड़े तो उसे कुहू अमावस्या कहा जाता है। इस अवसर पर स्वामी पृथ्वी पुरी, स्वामी संतोषानंद, बिल्लू पुजारी, डा. अनिरुद्ध गौतम, आकांक्षा गौतम, दर्शन एवं वीर सिंह इत्यादि मौजूद रहे।
महंत जगन्नाथ पुरी पूजन करते हुए।

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