वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी विश्व शांति व जनकल्याण के लिए उत्तराखंड में निरंतर 72 घंटे के यज्ञ व तप के बाद धर्मनगरी में लौटे।
कुरुक्षेत्र, 25 जून : धर्मनगरी के जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी निरंतर देश विदेश में सनातन धर्म व संस्कृति के प्रचार के साथ मानव समाज के कल्याण के लिए तपस्या में भी जुटे रहते हैं। जग ज्योति दरबार में ज्येष्ठ पूर्णिमा के पूजन के उपरांत महंत राजेंद्र पुरी उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल रवाना हो गए थे। महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि उन्होंने स्वामी हरि ओम तथा अन्य संतों के सान्निध्य में विश्व शांति व जनकल्याण के लिए उत्तराखंड में निरंतर 72 घंटे के यज्ञ व तप किया। उन्होंने उत्तराखंड से लौटने के बाद बताया कि उनके जीवन का लक्ष्य है कि सनातन धर्म एवं संस्कृति हर भारतीय के घर तक पहुंचे। इसी के साथ हर घर में प्राचीन परम्परा के अनुसार हवन भी हो। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि भारतीय संस्कारों में हवन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। महाभारत और रामायण काल से लेकर ऋषि मुनियों द्वारा हवन कराने की परंपरा का वर्णन मिलता है। हवन को हिंदू धर्म में शुद्धिकरण और सकारात्मकता का कर्मकांड माना जाता है। उन्होंने बताया कि हवन के महत्व को न केवल धार्मिक बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बताया गया है। हवन से देवता प्रसन्न होते हैं, पूजा सफल होती है और ग्रह दोष दूर होते हैं। हवन से वातावरण शुद्ध होता है। महंत राजेंद्र पुरी द्वारा उत्तराखंड में किए गए अनुष्ठान में महंत श्री राजेंद्र पुरी के साथ श्री दादा कोमल आनंदानंद दरबार दादा धाम गुरु फली उत्तराखंड, सत्यवती देवी, श्री चंद्र, खुशहाल मणि, रणबीर शास्त्री, वेद प्रकाश शास्त्री, सूरज प्रकाश शास्त्री, अभिलाषा देवी, वनीता देवी, रोशनी देवी, वेदांत, अनंत, सिद्धार्थ, हरि प्रकाश, शिव प्रकाश, प्रेम प्रकाश आदि भी मौजूद रहे।
श्रद्धालुओं के साथ महंत राजेंद्र पुरी।