जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने बताया तपस्या से मनुष्य के अंदर छिपी शक्ति जागृत होती है

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161 91877

जग ज्योति दरबार में महंत राजेंद्र पुरी की अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या के दर्शनों के लिए उमड़ी भीड़।

कुरुक्षेत्र, 2 जून : तीर्थों की संगमस्थली धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में विश्व कल्याण एवं शांति के लिए जग ज्योति दरबार में कल रही महंत राजेंद्र पुरी की अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या के दर्शनों के लिए रविवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस मौके पर महंत राजेंद्र पुरी ने अग्नि तपस्या के बीच भजन संकीर्तन करते हुए अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या के उद्देश्य एवं महत्व के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि तपस्या से मनुष्य के अंदर छिपी हुई शक्ति जागृत होती है, जिसके कारण उसे आत्मिक सुख की अनुभूति होती है। मानव समाज के कल्याण के लिए की गई तपस्या ही संतों की वास्तविक तपस्या है। वेद पुराणों में ऋषि मुनियों के तपस्या का महत्व विस्तार से बताया गया है। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि तपस्या केवल भूखे रहने अथवा शरीर को कष्ट देने का सिद्धांत ही नहीं है अपितु संस्कार विशुद्धि की अद्भुत कार्यशाला है। उन्होंने बताया कि तप में अणु से भी अधिक शक्ति समाहित होती है। जो व्यक्ति अपनी इन्द्रियों को वंश में रख सकता है वही व्यक्ति कठोर तपस्या कर सकता है। तपस्या से ही जीवन में मोक्ष का मार्ग है। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि तपस्या का वास्तविक अर्थ आत्मा विजातीय तत्वों को दूर करना और मानव इंद्रियों को वश में करना है तथा तप से शरीर में शक्तियों की वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि जिस मनुष्य के हृदय में दूसरों के लिए सुख की कामना एवं कल्याण की भावना है वह आसानी से तप के मार्ग पर चलता है। रविवार को श्रद्धालुओं ने तपस्या दर्शन एवं पूजन के उपरांत भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर अग्नि तपस्या में जागीर मोर शिवसेना हिंदुस्तान, कर्म सिंह सुनारा बेगपुर, राजेश कुमार, सुभाष पोलस्थ, श्याम सुंदर, रोशन लाल सरस्वती खेड़ा, मोहित निषाद खानपुर कोलियां, दीपक कुमार अजराना खुर्द, गौरव चनेटी, विशाल साकरा, गगन अंबाला, सुमित तागोर व तासीन ख़ान बरेड़ी इत्यादि ने सेवा दी।
अखंड पंच धूणी अग्नि तपस्या करते हुए महंत राजेंद्र पुरी एवं श्रद्धालु।

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