जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी ने बताया सिद्ध साधक संतों और ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर लोक कल्याण के लिए यज्ञ किए हैं

वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।

स्वामी हरिओम महाराज ने कहा वेदों में अग्नि परमेश्वर के रूप में वंदनीय है।
धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में चल रहा है 101 वां मां त्रिपुरा सुंदरी महायज्ञ।

कुरुक्षेत्र, 13 मार्च : जग ज्योति दरबार व जग ज्योति सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के महंत राजेंद्र पुरी के नेतृत्व में तथा त्रिपुरा सुंदरी पीठाधीश्वर चक्रवर्ती यज्ञ सम्राट श्री श्री 1008 हरि ओम महाराज के मार्गदर्शन में लुखी में चल रहे 10 दिवसीय मां त्रिपुरा सुंदरी महायज्ञ एवं कथा के अवसर पर बुधवार को भी बड़ी संख्या में संत महापुरुष एवं श्रद्धालु शामिल हुए।
देश विदेश में सनातन की अलख जगा रहे महंत राजेंद्र पुरी ने भी कहा कि यज्ञ एक विशिष्ट वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने जीवन को सफल बना सकता है। यज्ञ के माध्यम से आध्यात्मिक संपदा की भी प्राप्ति होती है। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने यज्ञ करने वालों को परम गति की प्राप्ति की बात की है। यज्ञ एक अत्यंत ही प्राचीन पद्धति है, जिसे देश के सिद्ध-साधक संतों और ऋषि-मुनियों ने समय-समय पर लोक कल्याण के लिए किया।
त्रिपुरा सुंदरी पीठाधीश्वर चक्रवर्ती यज्ञ सम्राट श्री श्री 1008 हरि ओम महाराज ने बताया कि यज्ञ में मुख्य अग्निदेव की पूजा की जाती है। भगवान अग्नि प्रमुख देव हैं। हमारे द्वारा दी जाने वाली आहुति को अग्निदेव अन्य देवताओं के पास ले जाते हैं। फिर वे ही देव प्रसन्न होकर कई गुणा सुख, समृद्धि और अन्न-धन देते हैं। उन्होंने बताया कि यज्ञ मानव जीवन को सफल बनाने के लिए एक आधारशिला है। इसके कुछ भाग विशुद्ध आध्यात्मिक हैं। अग्नि पवित्र है और जहां यज्ञ होता है, वहां संपूर्ण वातावरण, पवित्र और देवमय बन जाता है। यज्ञवेदी में स्वाहा कहकर देवताओं की कृपा से मनुष्य को दुख-दारिद्रय और कष्टों से छुटकारा मिलता है। वेदों में अग्नि परमेश्वर के रूप में वंदनीय है। इस अवसर पर मुख्य सेवक राज कुमार के साथ राहुल तंवर एडवोकेट, इकबाल सिंह, अभिमन्यु सिंह, परमिंदर राणा उर्फ सिंटू, बबली राणा, प्रहलाद राणा, दिलबाग राणा, ओम प्रकाश राणा, जितेंद्र सिंह, इंद्रपाल, संजय, संदीप, रॉकी राणा, सुंदर सिंह, चंद्रहास राणा, विजय राणा, अजय राणा, मनदीप इत्यादि भी मौजूद रहे।
कार्यक्रम में संत महापुरुष एवं श्रद्धालु।

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