वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
पाश्चात्य संस्कृति ने छीनी बच्चों से सहनशीलता, पाश्चात्य संस्कृति से बच्चों के भविष्य के लिए खतरा।
कुरुक्षेत्र, 18 जुलाई : जग ज्योति दरबार के महंत राजेंद्र पुरी जो निरंतर सनातन धर्म का देश एवं विदेश में प्रचार अभियान चलाए हुए हैं। वीरवार को भी दरबार में सत्संग करने के उपरांत थानेसर के विभिन्न गांवों में आयोजित कार्यक्रमों में उन्होंने शिरकत की। महंत राजेंद्र पुरी ने कहा कि वर्तमान युग भौतिकतावाद का है। बच्चों व युवाओं में आगे बढ़ने की होड़ लगी है। यह थोड़े से समय में सफलता के चरम पर पहुंचना चाहते हैं। स्वार्थो की पूर्ति के लिए मूलभूत संस्कारों को ही भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बच्चों एवं युवाओं को समझना चाहिए कि संस्कारों के बिना जीवन में कुछ भी नहीं है। युवा पीढ़ी की महत्वकांक्षाएं इतनी बढ़ चुकी है कि संस्कारों के लिए उनके जीवन में कोई स्थान नहीं रहा है। समाज में घट रही घटनाएं प्रमाण हैं कि नैतिकता का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है। महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि सहनशीलता भी एक तरह से संस्कार है। बच्चों को सहनशील होना चाहिए, लेकिन इस गुण की कमी देखी जा रही है। पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रचलन से बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। भारतीय सभ्यता व संस्कृति को भूलने लगे हैं। पश्चिमी जगत के प्रभाव से सहनशीलता जैसे गुण कम होते जा रहे हैं। माता-पिता उनकी बेहतरी के लिए कोई सुझाव देते हैं तो बच्चे उसे मानने को तैयार नहीं होते हैं। इसके मूल कारणों को जानने का दायित्व माता-पिता व अध्यापकों का है। इसी के साथ संतों को भी अपना दायित्व समझना चाहिए कि वे सनातन धर्म प्रचार के साथ ही समाज को सही मार्गदर्शन दें। महंत राजेंद्र पुरी ने बताया कि वे वीरवार को सत्संग के कार्यक्रम में आने से पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, राज्यमंत्री सुभाष सुधा व पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी से भी मिले। उन्होंने आज समाज जागरूकता लाने बारे चर्चा की। इस अवसर पर जागीर मोर, रोशन, बिट्टू शर्मा, विजय दीप, मनोज, राजकुमार, संगम सैनी, अजैब सिंह, सुरेंद्र, अंकुश, सतिंदर परुथी, शीतल कुमार इत्यादि भी मौजूद रहे।
महंत राजेंद्र पुरी श्रद्धालुओं के साथ।