संकट में शुद्ध मन से प्रभु को याद करने से प्रभु अवश्य संकट का हरण करते है : महंत सर्वेश्वरी गिरि

संकट में शुद्ध मन से प्रभु को याद करने से प्रभु अवश्य संकट का हरण करते है : महंत सर्वेश्वरी गिरि।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

श्री गोविंदानंद आश्रम में नवरात्रों के उपलक्ष्य में बैठकों का दौर शुरू।
आश्रम में जरूरतमंद कन्याओं का रखा जाता है पूरा ध्यान।
भगवान श्री कृष्ण पर “द्रौपदी का कर्ज” कैसे उतारा गया

पिहोवा : श्री गोविंदानंद आश्रम की महंत सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने सत्संग में श्रद्धालुओं को महाभारत काल का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि संकट के समय में किस प्रकार प्रभु अपने भगत की रक्षा करते है बस बुलाने वाला भगत शुद्ध मन से पुकारे।महंत सर्वेश्वरी गिरि ने बताया कि अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा महल में झाड़ू लगा रही थी तो द्रौपदी उसके समीप गई उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए बोली, “पुत्री भविष्य में कभी तुम पर घोर से घोर विपत्ति भी आए तो कभी अपने किसी नाते-रिश्तेदार की शरण में मत जाना। सीधे भगवान की शरण में जाना।” उत्तरा हैरान होते हुए माता द्रौपदी को निहारते हुए बोली, “आप ऐसा क्यों कह रही हैं माता ?” द्रौपदी बोली, “क्योंकि यह बात मेरे ऊपर भी बीत चुकी है। जब मेरे पांचों पति कौरवों के साथ जुआ खेल रहे थे, तो अपना सर्वस्व हारने के बाद मुझे भी दांव पर लगाकर हार गए। फिर कौरव पुत्रों ने भरी सभा में मेरा बहुत अपमान किया। मैंने सहायता के लिए अपने पतियों को पुकारा मगर वो सभी अपना सिर नीचे झुकाए बैठे थे। पितामह भीष्म, द्रोण धृतराष्ट्र सभी को मदद के लिए पुकारती रही मगर किसी ने भी मेरी तरफ नहीं देखा, वह सभी आँखें झुकाए आँसू बहाते रहे। सबसे निराशा होकर मैंने श्रीकृष्ण को पुकारा, “आपके सिवाय मेरा और कोई भी नहीं है, तब श्रीकृष्ण तुरंत आए और मेरी रक्षा की।”
जब द्रौपदी पर ऐसी विपत्ति आ रही थी तो द्वारिका में श्री कृष्ण बहुत विचलित होते हैं। क्योंकि उनकी सबसे प्रिय भक्त पर संकट आन पड़ा था। रूकमणि उनसे दुखी होने का कारण पूछती हैं तो वह बताते हैं मेरी सबसे बड़ी भक्त को भरी सभा में नग्न किया जा रहा है। रूकमणि बोलती हैं, “आप जाएँ और उसकी मदद करें।” श्री कृष्ण बोले, “जब तक द्रोपदी मुझे पुकारेगी नहीं मैं कैसे जा सकता हूँ। एक बार वो मुझे पुकार लें तो मैं तुरंत उसके पास जाकर उसकी रक्षा करूँगा। तुम्हें याद होगा जब पाण्डवों ने राजसूर्य यज्ञ करवाया तो शिशुपाल का वध करने के लिए मैंने अपनी उंगली पर चक्र धारण किया तो उससे मेरी उंगली कट गई थी। उस समय “मेरी सभी पत्नियाँ वहीं थी। कोई वैद्य को बुलाने भागी तो कोई औषधि लेने चली गई। मगर उस समय मेरी इस भक्त ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़ा और उसे मेरी उंगली पर बाँध दिया। आज उसी का ऋण मुझे चुकाना है, लेकिन जब तक वो मुझे पुकारेगी नहीं मैं जा नहीं सकता।” अत: द्रौपदी ने जैसे ही भगवान कृष्ण को पुकारा प्रभु तुरंत ही दौड़े आए।

Read Article

Share Post

VVNEWS वैशवारा

Leave a Reply

Please rate

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

आदेश अस्पताल में लेपरोस्कोपिक डिरूफिंग से किया किडनी सिस्ट का सफल उपचार

Thu Feb 23 , 2023
आदेश अस्पताल में लेपरोस्कोपिक डिरूफिंग से किया किडनी सिस्ट का सफल उपचार। हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।दूरभाष – 9416191877 आदेश के चिकित्सकों ने 5.5 सें.टी. की सिस्ट गांठ को डिरूफ किया।जीटी रोड बेल्ट का आधुनिक सुविधाओं से संपन्न है आदेश अस्पताल।जरूरतमंदों के लिए समय समय पर लगाए जाते […]

You May Like

Breaking News

advertisement

call us