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प्रेरणा वृद्धाश्रम में मनाई गई महारानी लक्ष्मीबाई जयंती।
वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
प्रेरणा वृद्धाश्रम के बुजुर्गों में महारानी लक्ष्मीबाई की वीरता का किया गुणगान।
कुरुक्षेत्र, 20 नवम्बर : प्रेरणा वृद्धाश्रम में हर त्यौहार को जहां श्रद्धा व उल्लास के साथ मनाया जाता है उसी तरह देश के महापुरुषों एवं वीरों को याद किया जाता है। इसी कड़ी में भारत माता की महान वीरांगना झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जयंती मनाई गई।
प्रेरणा वृद्धाश्रम के संस्थापक एवं संचालक डा. जय भगवान सिंगला ने कहा कि ऐसी महान विभूतियां जहां जन्म लेती हैं उनकी जन्मस्थली तीर्थ बन जाती है। देश का हर नागरिक गर्व अनुभव करता है कि झांसी की रानी ने अति सीमित साधन होने के बावजूद अपने शौर्य के वो जोहर दिखाए, जिन्हें देखकर अंग्रेज आश्चर्यचकित रह गए। झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के शौर्य के बारे में यह प्रसिद्ध है कि वह घोड़े की लगाम को दांतों के बीच थाम कर दोनों हाथों से तलवार चलाया करती थी। उन्होंने अपने अंतिम पल तक अंग्रेजों से हार नहीं मानी और अनेकों बार अंग्रेजों को धूल चटाई।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी के पूर्व निदेशक डा. विजय दत्त शर्मा ने एक कविता के माध्यम से अपने विचार रखे और रानी लक्ष्मीबाई के जीवन प्रसंगों बारे बताया। इस अवसर पर सूर पुरस्कार विजेता डा. मधु कांत बंसल ने कहा कि हम सभी भारतवासी उस महान वीरांगना के ऋणी हैं। अगर उस जैसी वीरांगनाएं पैदा ना होती तो हम आज भी गुलामी की दासता भुगत रहे होते। संस्था की अध्यक्षा रेनू खुंगर ने कहा कि हम प्रेरणा के सभी सदस्य हमेशा अपने महापुरुषों को स्मरण करते हैं और उसी कड़ी में हम रानी लक्ष्मी बाई को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। माता बलविंदर कौर ने कहा की भारत भूमि एक ऐसी भूमि है जहां पर सदा से वीरों ने जन्म लिया है। क्षमा मल्होत्रा जो स्वयं बनारस में पैदा हुई है उन्होंने बड़े भावुक शब्दों में बताया कि आज उनकी जन्मस्थली एक खंडहर के रूप में है लेकिन आज भी लोग उसे खंडहर पर जाकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं।
इस अवसर पर रामलाल सिंगला, हरकेश पपोसा, मधु शर्मा, विजयलक्ष्मी, मीना कुमारी, शकुंतला देवी, सीता देवी, सुमन शर्मा, मलकीत कौर, उषा सच्चर, जोगिंदर सिंह, चंद्रकांत ठक्कर, इंद्रप्रीत सिंह बिंद्रा, कश्मीरी लाल जैन, विजय कुमार अग्रवाल, बी श्रीवास्तव इत्यादि भी मौजूद रहे।
प्रेरणा वृद्धाश्रम में रानी लक्ष्मी बाई को याद कर उद्घोष करते हुए बुजुर्ग व अन्य।