माता-पिता व गुरुओं के सम्मान से मनुष्य को मिलता है हर जगह सम्मान : रेखा बहन।
हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
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श्री योग वेदांत सेवा समिति व युवा सेवा संघ द्वारा सिरसा रोड स्थित आश्रम में भजन सत्संग का आयोजन। अहमदाबाद से पहुंची रेखा बहन ने दिए प्रवचन।
हिसार 26 फरवरी : आज की युवा पीढ़ी आधुनिक एवं एडवांस तकनीक को स्थापित करने की सोच में लगी हुई है जो अच्छी बात तो है लेकिन वे अपनी भारतीय मूल संस्कृति को भूलते जा रहे हैं जो कि गलत है। आप कार्य कितने ही बड़े करें मगर माता-पिता के अधीन होकर, उनके स्नेह पर व आशीर्वाद के साथ करें। ऐसा करने से आप जीवन में कभी असफल नहीं होंगे। उक्त उद्गार संत आसाराम बापू की परम शिष्या परम श्रद्धेय रेखा बहन अहमदाबाद ने स्थानीय सिरसा रोड स्थित संत आसाराम बापू आश्रम में श्री योग वेदांत सेवा समिति व युवा सेवा संघ द्वारा आयोजित मातृ-पितृ पूजन माह को समर्पित भजन सत्संग में श्रद्धालुओं के बीच व्यक्त किए।
भजन सत्संग से पूर्व श्रद्धेय साध्वी रेखा बहन ने गुरुवर के स्वरूप के समक्ष आरती कर उपस्थित साधकों को औ३म् का उच्चारण करवाया व उसकी महिमा पर संक्षिप्त वर्णन के साथ सत्संग प्रारंभ किया। सत्संग पर प्रकाश डालते हुए रेखा बहन ने कहा कि सत्संग ऐसी अचूक औषधि है जो सब रोगों से निजात दिलवाती है। इसके अलावा उन्होंने माघ माह की विस्तार से व्याख्या की।
उन्होंने कहा कि आज के दिन हमारे धर्मपरायण देश में विदेशी वेलेंटाइन-डे मनाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है व यह एक कुरीति है। हमारे देश में सभी धर्मों को बड़ा आदर-सत्कार दिया जाता है लेकिन इस विदेशी कुरीति वेलेंटाइन-डे को समाप्त करने के लिए समिति सदस्य पूरे फरवरी माह में विभिन्न स्कूलों में जाकर बच्चों को इस दिन मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने के लिए प्रेरित करते हैं क्योंकि माता-पिता के चरणों में ही सुख की अनुभूति है। इसलिए प्रतिदिन हमें उनसे आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए। इससे हमारे जीवन में कभी भी असफलता नहीं आएगी। उन्होंने ने कहा कि ऐसा करने से हमारी विचार वाणी संस्कार भरी होगी। इसलिए हमें अच्छी बातें ही जीवन में गृहण करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि माता पिता की सेवा व गुरुजनों के आदर सम्मान करने वालों का हर जगह सम्मान होता है।
सुंदर भजन च्हरि औम, हरि औम, हरि औमज् के सत्संग के अलावा च्आएंगे गुरुवर ये विश्वास कर तू दिल से बुला, गुरुवर तेरे पा हैंज् च्आसरा इस जहां का मिले ना मिले मुझको तेरा सहारा सदा चाहिएज्, च्माता-पिता गुरु प्रभु चरणों में प्रणवत बारम्बारज्, च्कितनी करुणा भरी हुई है माता पिता के प्यार मेंज्, च्पूजा है तुमको पूजे हम हर दम, माता-पिता को अर्पण है मेरा जीवनज्, च्तू कितनी अच्छी है तू कितनी प्यारी है ओ माँज्, च्गुरु मेरे परमात्मा तेरे दर्श को तरसे आत्माज् आदि सुन्दर भजनों से उदगार व्यक्त किए।
इस अवसर पर बी.डी. हुड्डा, उदयवीर, सूबे सिंह सिवाच, ओ.पी. चौधरी, ओ.पी. पटनेजा, वी.एस. कुण्डू, सर्वमित्र अनेजा, फतेहचंद छाबड़ा, यशपाल रिंकु, जयप्रकाश कौशिक, सुशील कौशिक, नंदलाल चावला, तारा सिंह, वजीर चंद वधवा व अभिषेक कौशिक आदि मौजूद थे।