कामिनी कंचन से दूर रहे मानव : ऋतुराज महाराज

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

सत्य साई सेवा केंद्र, कुरुक्षेत्र द्वारा श्रीमद् भागवत कथा आयोजन का चौथा दिन।

कुरुक्षेत्र,19 अप्रैल : सेक्टर 7 के श्री सत्य साई सेवा केंद्र में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में कथावाचक संत ऋतुराज महाराज (इंदौर) ने वामन,परशुराम और श्रीराम अवतार प्रसंग सुनाया।ऋतुराज महाराज ने कहा कि भगवान की प्राप्ति के लिए मानव को कामिनी कंचन से कोसो दूर रहना चाहिए।वामन विष्णु के 5 वें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव शरीर में बौने ब्राह्मण के रुप में प्रकट हुए। वामन ऋषि कश्यप तथा अदिति के पुत्र थे।वह आदित्यों में 12 वें थे।ऐसी मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे।वामन को 3 पैरों वाला दर्शाया गया है।त्रिविक्रम रुप में एक पैर धरती पर दूसरा आकाश पर तथा तीसरा बलि के सिर पर भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुन: अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। बलि विरोचन के पुत्र तथा भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे।वे एक दयालु असुर राजा के रुप में जाने जाते थे।यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या और ताकत के माध्यम से बलि ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन एक बौने ब्राह्मण के वेश में बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए 3 कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बार.बार मना करने के बावजूद भी बलि ने वामन को 3 पग भूमि दान देने का वचन दे डाला।पाल जी महाराज ने श्रद्धालुओं को धर्म संदेश में कहा कि मनुष्य का जीवन त्यागमय होना चाहिए।भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ के सत्य वचन की रक्षा के लिए राजपाट छोडकऱ वन की ओर प्रस्थान किया।इस दुनिया को समझने के दो मुख्य मार्ग हैं-प्रेम एवं श्रेय मार्ग। प्रेम मार्ग आरंभ में बड़ा सुगम व मीठा लगता है। खाया पिया और मौज उड़ाया, परंतु परिणाम बड़ा भयानक व कड़वा होता है। इस मार्ग पर चलने वाले लोग माया के पीछे भागते हैं। दूसरा श्रेय मार्ग है, जिसमें मानव को बड़ी कठिनाई आती है, लेकिन परिणाम बड़ा मीठा होता है।इस मार्ग में साधक को कठिन साधना करनी पड़ती है। जैसे कांटा से कांटा निकलता है, ऐसे ही कर्मों से कर्मों का बंधन कटता है। कर्मों से कर्मों का बंधन काटने का प्रयास न करने वाला मनुष्य मूढ़ता को पा लेता है। कर्म से कर्म काटा भी जाता है बनाया भी जाता है इसलिए हमेशा सतकर्म में ही आसक्ति रखनी चाहिए। कथा से पूर्व आयोजन समिति के सभी सदस्यों ने सर्वदेव पूजन एवं श्रीसत्य साई पूजन किया।कथा के दौरान सुनाए गए भजनों पर भक्त झूम उठे।भागवत आरती में प्रांतीय अध्यक्ष डॉ रामभज खरब, प्रांतीय संयोजक प्रीतम तंवर,कुरुक्षेत्र जिला प्रधान रविन्द्र सिंगला,समिति संयोजक नरेंद्र कुमार शर्मा,सचिव रमेश शर्मा,कोषाध्यक्ष वाई.पी.शर्मा,डी.आर.गुप्ता,प्रवीण टुटेजा,आन्नंद शर्मा व निखिल आन्नद सहित सभी ट्रस्ट मेंबर शामिल रहे।

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