कामिनी कंचन से दूर रहे मानव : विकास दास महाराज

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877
छाया – आदित्य उमेश गर्ग।

समस्त श्यामप्रेमी परिवार, कुरुक्षेत्र द्वारा श्रीमद् भागवत कथा आयोजन का चौथा दिन।

कुरूक्षेत्र,11दिसंबर : – समस्त श्यामप्रेमी परिवार कुरूक्षेत्र द्वारा गीता जयंती के उपलक्ष्य में श्री गीता धाम में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन शनिवार को वामन व परशुराम अवतार कथा प्रसंग सुनाया गया।भागवत अनुष्ठान यजमान श्यामप्रेमी अजय गोयल, दिनेश गोयल, अरुण गोयल, अशोक गर्ग व डिंपल गर्ग सहित अन्य यजमानों ने व्यासपूजन किया।इससे पूर्व सुबह 11 कुण्डीय गीता ज्ञान महायज्ञ में यजमानों ने आहुतियां दी।कार्यक्रम में ऊना(हिमाचल प्रदेश)से राष्ट्रीय संत पाल जी महाराज ने दीप प्रज्जवलित किया।कथाव्यास महामंडलेश्वर विकास दास महाराज ने कहा कि भगवान की प्राप्ति के लिए मानव को कामिनी कंचन से कोसो दूर रहना चाहिए।वामन विष्णु के 5 वें तथा त्रेता युग के पहले अवतार थे। इसके साथ ही यह विष्णु के पहले ऐसे अवतार थे जो मानव शरीर में बौने ब्राह्मण के रुप में प्रकट हुए। वामन ऋषि कश्यप तथा अदिति के पुत्र थे।वह आदित्यों में 12वें थे।ऐसी मान्यता है कि वह इंद्र के छोटे भाई थे।वामन को 3 पैरों वाला दर्शाया गया है।त्रिविक्रम रुप में एक पैर धरती पर दूसरा आकाश पर तथा तीसरा बलि के सिर पर भागवत कथा के अनुसार विष्णु ने इंद्र का देवलोक में पुन: अधिकार स्थापित करने के लिए यह अवतार लिया। बलि विरोचन के पुत्र तथा भक्त प्रह्लाद के पौत्र थे।वे एक दयालु असुर राजा के रुप में जाने जाते थे।यह भी कहा जाता है कि अपनी तपस्या और ताकत के माध्यम से बलि ने त्रिलोक पर आधिपत्य हासिल कर लिया था। वामन एक बौने ब्राह्मण के वेश में बलि के पास गए और उनसे अपने रहने के लिए 3 कदम के बराबर भूमि देने का आग्रह किया। उनके हाथ में एक लकड़ी का छाता था। दैत्य गुरु शुक्राचार्य के बार.बार मना करने के बावजूद भी बलि ने वामन को 3 पग भूमि दान देने का वचन दे डाला।पाल जी महाराज ने श्रद्धालुओं को धर्म संदेश में कहा कि मनुष्य का जीवन त्यागमय होना चाहिए।भगवान श्रीराम ने अपने पिता राजा दशरथ के सत्य वचन की रक्षा के लिए राजपाट छोडकऱ वन की ओर प्रस्थान किया। इस दुनिया को समझने के दो मुख्य मार्ग हैं-प्रेम एवं श्रेय मार्ग। प्रेम मार्ग आरंभ में बड़ा सुगम व मीठा लगता है। खाया पिया और मौज उड़ाया, परंतु परिणाम बड़ा भयानक व कड़वा होता है। इस मार्ग पर चलने वाले लोग माया के पीछे भागते हैं। दूसरा श्रेय मार्ग है, जिसमें मानव को बड़ी कठिनाई आती है, लेकिन परिणाम बड़ा मीठा होता है। इस मार्ग में साधक को कठिन साधना करनी पड़ती है। जैसे कांटा से कांटा निकलता है, ऐसे ही कर्मों से कर्मों का बंधन कटता है। कर्मों से कर्मों का बंधन काटने का प्रयास न करने वाला मनुष्य मूढ़ता को पा लेता है। कर्म से कर्म काटा भी जाता है बनाया भी जाता है इसलिए हमेशा सतकर्म में ही आसक्ति रखनी चाहिए। आयोजकों ने अतिथियों को स्मृति-चिह्न प्रदान किया। कथा के दौरान सुनाए गए भजनों पर श्रद्घालु झूम उठे।भागवत आरती में माता सुदर्शन भिक्षु,कुसुम दीदी, आचार्य नरेश कौशिक, अंकुर गर्ग, विकास गुप्ता,रवि गुप्ता, गौरव गुप्ता,पियांशु तायल,आशुतोष मित्तल, हर्ष गोयल, ए.पी. चावला, मनोज काठपाल, राकेश मंगल, पंकज सिंगला, अनिल मित्तल, राजकुमार मित्तल,मुनीष मित्तल, संजय चौधरी, अमित गर्ग, अनुज सिंगला, सतीश मेहता, योगेंद्र अग्रवाल और बड़ी संख्या में महिला श्रद्धालुओं सहित कई शहरों के श्यामप्रेमी शामिल रहे।
गायकों ने सुनाए खाटू श्याम जी के भजन…….
श्रीमद्भागवत कथा के पश्चात भजन संध्या में भजन गायक शिवम शर्मा दिल्ली और विशाल शैली पटियाला ने खाटू श्याम जी के मधुर भजनों से समां बांधा।गायकों द्वारा सुनाए गए भजन श्याम बाबा आना कभी….,श्याम तेरी याद मुझको आती है …और सामने आओगे या आज भी पर्दा होगा…इत्यादि भजनों पर श्यामप्रेमी झूम उठे।

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