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विश्व मलेरिया दिवस दिवस पर हुए जागरूकता संबंधी कई कार्यक्रम
-जिले में मलेरिया उन्मूलन के प्रयासों की दी गयी जानकारी
-जिले में लगातार कम हो रहे हैं मलेरिया के मामले, रोग नियंत्रण के लिये हो रहा जरूरी प्रयास
अररिया
विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर सोमवार को जिले में जागरूकता संबंधी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। रोग के खतरे व निदान संबंधी उपायों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य के सभी प्रखंडों में रैली निकाली गयी। वहीं सिविल सर्जन की अध्यक्षता में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान जिला वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने मलेरिया रोग से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी मीडियाकर्मियों के साथ साझा किया। कार्यक्रम के दौरान वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी ललन कुमार, डीपीएम एड्स अखिलेश कुमार सिंह, केयर इंडिया की डीपीओ प्रियंका लांबा, प्रभात कुमार सहित संबंधित अन्य चिकित्सा कर्मी मौजूद थे।
सिविल सर्जन डॉ विधानचंद्र सिंह ने बताया कि मलेरिया मुख्यत: अफ्रीकी महादेश की बीमारी है। एशिया में भारत सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल है। वहीं चीन, मलेशिया सहित कई अन्य देश इससे पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। देश में वर्ष 1951 में मलेरिया कंट्रोल प्रोग्राम की शुरुआत हुई। इसके बाद वर्ष 1961 में मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम की शुरुआत की गयी। देश को पूरी तरह मलेरिया मुक्त बनाने का प्रयास जारी है। देश में उड़ीसा, मणिपुर, नागालैंड सहित उत्तर पूर्व के अन्य इससे प्रभावित हैं। पुराने बिहार से सटे झारखंड में हजारीबाग, गिरिडीह का इलाका इसे लेकर संवेदनशील बना हुआ है। इससे सटे बिहार के इलाके में भी मलेरिया प्रकोप आज भी बरकरार है।
डीवीबीडीसीओ डॉ सिंह ने रोग संबंधी लक्षणों की जानकारी देते हुए कहा कि ठंड लगना, कपकपी, सिर दर्द, उल्टी व चक्कर आना, तेज बुखार, निश्चित समयांतराल पर अत्यधिक पसीने के साथ बुखार का कम होना मलेरिया रोग के प्रमुख लक्षण हैं। बेहद आसान उपायों पर अमल कर इससे बचाव संभव है। इसके लिये घर के आसपास गड्ढे, नाली, गमलों में पानी एकत्र न होने दें। जमा पानी में नियमित अंतराल पर मिट्टी तेज जरूरी डालें, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग या मच्छर भगाने वाले प्रसाधन का उपयोग, समय समय पर डीडीसी व एसपी का छिड़काव जरूरी है।