गर्मी में गहरी जुताई के अनेकों लाभ : डॉ. कनौजिया
जलालाबाद कन्नौज
कृषि विज्ञान केंद्र, अनौगी के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. वी. के. कनौजिया ने बताया कि गेहूं की फसल की कटाई के उपरांत बहुत बड़ा क्षेत्रफल वर्षा ऋतु तक खाली पड़ा रहता है। इन खेतों की मिट्टी पलट हल से 15 से 20 दिनों के अंतराल पर मई माह में दो जुताई मात्र करने से फसलों को अनगिनत लाभ उत्पादन तथा जल संरक्षण की दृष्टि से प्राप्त होते है । गहरी जुताई से 20 से 25 सेंटीमीटर गहराई तक की मिट्टी पलटने से सामान्यता 15 सेंटीमीटर से नीचे की कठोर परत टूट जाती है जिसके परिणाम स्वरूप भूमि में गहराई तक हवा का संचार होने लगता है जिससे आगामी फसलों की जड़े अधिक गहराई तक वृद्धि कर पाती हैं जिसका सकारात्मक प्रभाव फसल की वृद्धि व उपज पर पड़ता है । दूसरा सबसे महत्वपूर्ण असर भूमि में पड़े कीड़ों उनके अंडों, प्यूपा व लरवा पर पड़ता है जो धूप के संपर्क मैं आकर नष्ट हो जाते हैं । ठीक इसी प्रकार फफूंद, बैक्टीरिया व नेमेटोड़ पर होता है । यह सभी फसलों के दुश्मन हैं जो सामान्य स्थिति में भी 10 से 15% तक नुकसान फसल को पहुंचाते हैं । गहरी जुताई से इनकी संख्या को 50% तक आसानी से कम किया जा सकता है तथा इनके नियंत्रण पर होने वाले व्यय को भी कम करने में सफलता मिलती है ।
गर्मी की जुताई से बहु वर्षी खरपतवार जिनकी जड़ें काफी गहराई तक भूमि में जाती हैं वह भी उखड़ कर ऊपर आने से तेज धूप में सुख सुख जाती हैं जिससे आगामी फसलों में इनके नियंत्रण पर कम अथवा नगण्य खर्च करना पड़ता है। इतना ही नहीं गर्मी की जुताई होने से जैसे ही वर्षा प्रारंभ होती है उसका पूरा जल खेत द्वारा सोंख लिया जाता है परिणाम स्वरूप मिट्टी बह कर खेत से बाहर नहीं जा पाती तथा खेत की बुवाई अपेक्षाकृत पहले की जा सकती है।
गर्मी की जुताई से भूमि की कठोरता कम होती है, हवा का संचार बढ़ता है, भूमि में खरपतवारों की संख्या में कमी आती है, कीड़े- मकोड़े और रोगों की संख्या कम होती है, जल का अवशोषण तेजी से होता है तथा भूमि में दबे हुए खरपतवार व फसल अवशेष शीघ्र सड़क भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं । गर्मी की जुताई से खरीफ में किसान को कम जुताई करनी पड़ती है जिससे बिना उत्पादन लागत बढ़े किसान को अधिक आर्थिक लाभ होता हैं । इसलिए यह आवश्यक है की सभी किसान भाइयों को अपने खाली पड़े खेतों की गहरी जुताई अति शीघ्र कर देना चाहिए।