शहीद मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे : डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

शहीद मंगल पांडे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे : डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र।

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 9416191877

मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

कुरुक्षेत्र 19 जुलाई : शहीद मंगल पांडे, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के पहले ऐसे क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया। मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया। 1857 की क्रांति भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम था, जिसकी शुरुआत मंगल पांडे के विद्रोह से हुई। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने शहीद मंगल पांडे की जयंती के अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतमाता एवं शहीद मंगल पांडे के चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीपप्रज्जवलन से हुआ। मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि मंगल पांडे का जन्म 19 जुलाई, 1827 को उत्तर प्रदेश के फैजाबाद के पास एक कस्बे में एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 1849 में, पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए और बैरकपुर में 34 वीं बंगाल नेटिव इन्फैंट्री की 6वीं कंपनी में एक सिपाही के रूप में कार्य किया। मंगल पांडे का यूं तो फांसी देने की तारीऽ 18 अप्रैल 1857 तय की गई थी। लेकिन अंग्रेजी शासनों को इस बात का डर सताने लगा कि अगर मंगल पांडे को फांसी नहीं दी गई तो लगाई स्वतंत्रता आंदोलन की चिंगारी पूरे भारत में फैल जाएगी। इसी वजह से डर से अंग्रेजो ने 18 अप्रैल की जगह मंगल पांडे को 8 अप्रैल को ही फांसी दे दी थी। पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में मंगल पांडे को फांसी दी गई थी। 1857 क्रांति के महान सिपाही विद्रोह ने सबसे पहले भारतीयों में आजादी का सपना जगाया था। इस दौरान कई ऐतिहासिक और अविस्मरणीय घटनाएं घटीं, जिन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई।
डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कि मंगल पांडे ने अंग्रेजों के खिलाफ बैरकपुर में जो बिगुल फूंका था। वह जंगल की आग की तरह फैलने लगी। विद्रोह की चिंगारी मेरठ की छावनी पहुंच गई थी। 10 मई 1857 को भारतीय सैनिकों ने मेरठ की छावनी में बगावत कर दी। कई छावनियों में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ गुस्सा तेज हो गया था। यह विद्रोह पूरे उत्तर भारत में फैल गया। इतिहासकारों का कहना है कि विद्रोह इतना तेजी से फैला था कि मंगल पांडे को फांसी 18 अप्रैल को देना था लेकिन 10 दिन पहले 8 अप्रैल को ही दे दी गई। ऐसा कहा जाता है कि बैरकपुर छावनी के सभी जल्लादों ने मंगल पांडे को फांसी देने से इनकार कर दिया था। फांसी देने के लिए बाहर जल्लाद बुलाए गए थे। शहीद मंगल पांडे के बलिदान ने भारत के आजादी की आधारशिला रखी। भारत का जन-जन सदैव शहीद मंगल पांडे का ऋणी रहेगा।
कार्यक्रम में गांव चंद्रावर, इंद्री की सरपंच सुषमा रानी सहित मिशन के सदस्य एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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