बिहार:फाइलेरिया उन्मूलन के लिये एमडीए कार्यक्रम 20 से, हुआ मीडिया वर्कशॉप

फाइलेरिया उन्मूलन के लिये एमडीए कार्यक्रम 20 से, हुआ मीडिया वर्कशॉप

-दवा जरूरी और है सुरक्षित भी, दवा खाने में न करें संकोच
-6.5 लाख घरों का भ्रमण कर 32 लाख को दवा खिलाने का है लक्ष्य
-दवा खिलाने के लिये 3500 कर्मी करेंगे मेहनत

अररिया संवाददाता

आम तौर पर हाथी पांव के नाम से जाना जाने वाले रोग फाइलेरिया के उन्मूलन के लिये एमडीए यानी सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम जिले में 20 सितंबर से शुरू होगा। फाइलेरिया मुक्ति अभियान के दौरान जिले में 32 लाख लोगों को निर्धारित दवा सेवन कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। दो साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से ग्रस्त लोगों को दवा नहीं खिलाई जायेगी। अभियान के दौरान करीब 3500 कर्मी घर घर भ्रमण करेंगे। अपनी निगरानी में डीईसी व एल्बेंडाजोल यानी कृमि मारने की दवा खिलाएंगे। दवा पूरी तरह सुरक्षित है। कुछ लोगों में दवा का मामूली रिएक्शन जैसे उल्टी, खुजली व बुखार आदि हो सकता है। ठीक होने के लिये किसी खास दवा की भी जरूरत नहीं पड़ती। आधे से एक घंटे में सब कुछ नार्मल हो जाता है। ऐसी तमाम जानकारियां गुरुवार को डीआरडीए सभा भवन में जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा आयोजित मीडिया वर्कशॉप में दी गई। कार्यक्रम का उद्घाटन डीडीसी मनोज कुमार ने किया। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान निर्धारित दवा भी खाई।

रोक का कोई इलाज नहीं, बचाव संभव :

रोग के बारे में जानकारी देते हुए जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम हर साल डेढ़ साल में एक बार चलाया जाता है। जिले में ये अभियान चौथे साल में प्रवेश कर चुका है। इसके पूर्व संचालित अभियान की उपलब्धि 72 प्रतिशत रही थी। इस बार 90 प्रतिशत की उम्मीद है। अगर अगले एक दी साल तक अभियान सही ढंग से चला तो जिला कालाजार की तरह फाइलेरिया मुक्त भी हो जाएगा। उन्होंने कहा फाइलेरिया के कारण हाथीपांव हो जाने के बाद इलाज नहीं है। संक्रमण से बचने के लिये दवा का सेवन कराया जाता है। जिले में हुए एक सर्वे का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि हाथीपांव के 514 केस जिले में मिल चुके हैं। उनका रोग ठीक तो नहीं हो सकता लेकिन सूजे हुए पैरों की समुचित दरखभाल जरूरी है। जिले के ऐसे रोगियों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रशिक्षण के साथ-साथ आवश्यक किट भी दिया गया है। सदर अस्पताल में फाइलेरिया की वजह से हुए हाइड्रोसिल का मुफ्त ऑपरेशन होता है। 77 ऑपरेशन हो भी चुके हैं। दवा से होने वाले संभावित रिएक्शन के बारे में कहा कि अमूमन नहीं होता है। कुछ लोगों को बुखार, उल्टी आदि हो सकती है। घबराने जैसी कोई बात नहीं। इसके बावजूद स्थिति पर नजर रखने के लिए जिला और प्रखंड स्तर पर रैपिड रिएक्शन टीम का गठन किया गया है। टीम में डॉक्टर भी शामिल रहेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि जिले के इस अभियान के दौरान जेल में भी दवा खिलाने की व्यवस्था की गई है।

खाली पेट नहीं खानी है दवा, अलग अलग उम्र का डोज भी अलग:

इस अवसर पर मौजूद सीएस डॉ एमपी गुप्ता ने कहा कि फाइलेरिया की दवा खाली पेट नहीं खानी है। दो साल सर कम उम्र के बच्चों को दवा नहीं खिलाई जायेगी। दो से पांच साल तक के बच्चों को डीईसी की एक और एल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जाएगी। एल्बेंडाजोल को चबा कर खाना है। छह से 14 साल के बच्चों को डीईसी की दो और एल्बेंडाजोल की एक टेबलेट दी जायेगी। जबकि 15 साल या उस से अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन और एल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जायेगी।

जिले को बनाना है स्वस्थ्य, स्वच्छ व समृद्ध :

डीडीसी मनोज कुमार ने कहा कि अन्य कार्यक्रमों की तरह फाइलेरिया उन्मूलन अभियान की सफलता के लिये भी समाज और खास तौर पर मीडिया का सहयोग बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिले को स्वस्थ्य, स्वच्छय और समृद्ध बनाने के लिये कालाजार, पोलियो, फाइलेरिया के साथ साथ कोरोना मुक्त करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि विशेष प्रजाति के मच्छर काटने से होने वाले रोग फाइलेरिया से बचने के लिये साफ सफाई का ध्यान रखना जरूरी है। स्वास्थ्य के अन्य कार्यक्रमों के दौरान भी साफ सफाई को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जागरूक करने पर भी चर्चा जारी रहनी चाहिये। ताकि लोग ये समझ सकें कि घरों के आस पास की सफाई, जल जमाव को रोकना आदि उनके स्वास्थ्य के लिये जरुरी है।

अभियान पर सरकार कर रही करोड़ों खर्च :

डीपीएम रेहान अशरफ ने बताया राज्य में हाथीपांव से कम दो लाख लोग पीड़ित हैं। जबकि 1.75 लाख ह्यड्रोसिल के केस हैं। उन्होंने कहा 14 दिनों के अभियान में प्रतिनियुक्त कर्मियों के मानदेय पर 80 लाख का खर्च आएगा। जबकि दवा के क्रय पर सरकार कम से कम चार करोड़ रुपये खर्च करेगी। धयनवाद ज्ञापन एसीएमओ डा राजेश कुमार ने किया। इस अवसर पर आईसीडीएस की डीपीओ सीमा रहमान, केयर इंडिया की डीपीओ प्रियंका लांबा, वीबीडी परामर्शी सुरेंद्र बाबू, पीसीआई प्रतिनिधि गौरव कुमार, जिला कल्याण पदाधिकारी रमेश मंडल, एडीपीआरओ दिलीप सरकार सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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