खुलासा: जमीनी विवाद में शूटरों की मदद से मेडिकल संचालक की करवाई गई थी हत्या

खुलासा: जमीनी विवाद में शूटरों की मदद से मेडिकल संचालक की करवाई गई थी हत्या

गोरखपुर। विगत 19 तारीख को खोराबार थाना क्षेत्र के बल्ली चौराहे के पास मेडिकल स्टोर संचालक रामाश्रय मौर्या की 5 गोली मारकर हत्या को अंजाम देते हुए अपराधी बड़े आराम से फरार हो गए थे।

इस सनसनीखेज हत्याकांड के खुलासे के लिए पुलिस के साथ-साथ क्राइम ब्रांच और एसओजी टीम को भी लगाया गया था।

घटना के मुख्य साजिशकर्ता अभिषेक मिश्रा ने दो शूटरों को 3 लाख रुपये की सुपारी देकर मेडिकल स्टोर संचालक की हत्या करवाई थी। 2 लाख रुपये चेक के माध्यम से दे भी दिया गया था।

जिसमें पुलिस ने एक शूटर मोहम्मद अशरफ उर्फ गोलू पुत्र अमानुल्लाह निवासी चक्सा हुसैन हुसैनाबाद थाना गोरखनाथ को गिरफ्तार किया।

वहीं दूसरा शूटर अभी फरार है।जिसे पुलिस जल्द गिरफ्तार करने का दावा कर रही है।

पुलिस ने नामजद अभियुक्तों सहित कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया है साथ ही घटना में इस्तेमाल एक बुलेट मोटरसाइकिल और एक पिस्टल 32 बोर के साथ ही 3 जिंदा कारतूस 32 बोर बरामद किया

गोरखपुर के एसएसपी ने जानकारी देते हुए बताया कि जमीनी विवाद में मेडिकल स्टोर संचालक की हत्या शूटरों की मदद से करवाई गई थी।

गिरफ्तार अभियुक्त अभिषेक मिश्रा ने पूछताछ में अपना जुर्म कबूल करते हुए बताया कि परिजात एसोसिएट ने जिन पक्षो से जमीन खरीदी थी।

लेकिन अभी परिजात एसोसिएट और जमीन संबंधी अन्य सभी लोगों ने जमीन पर कब्जा नहीं पाया था। इसलिए रामाश्रय मौर्या को जल्द से जल्द रास्ते से हटाने का दबाव मेरे ऊपर था।

मैंने विगत 19 तारीख को शूटर गोलू उर्फ अशरफ और उसके एक साथी को 3 लाख रुपये की सुपारी देकर रामाश्रय मौर्या की हत्या करवाई थी।

घटना में इस्तेमाल बुलेट मैंने ही शूटरों को दी थी। शूटरों को मैंने 2 लाख रुपये पहले ही दे दिया था और काम होने के बाद 1 लाख और देना था।

पुलिस ने घटना के नामजद चार आरोपियों सहित कुल 10 लोगों को गिरफ्तार किया है।

घटना में इस्तेमाल बुलेट मोटरसाइकिल और एक पिस्टल 32 बोर तीन जिंदा कारतूस बरामद किया घटना का अनावरण करते हुए गोरखपुर के डीआईजी/एसएससी जोगेंद्र कुमार ने जानकारी देते हुए कहा कि इस घटना को ध्यान में रखते हुए अभी अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।

आरोपी ने मृतक के दुकान और उसके घर जाने की पूरी रेकी करते हुए शूटरों की मदद की थी। विगत 7 तारीख को इसी विवाद में न्यायालय में तारीख था।

उसी दिन हम लोगों ने घटना को अंजाम देने की योजना बनाई थी लेकिन उस दिन घटना को अंजाम नहीं दे पाया गया और बाद में 11 तारीख को इस घटना को अंजाम दिया गया था।

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