रिपोर्ट पदमाकर पाठक
मोहब्बतपुर को भी विश्वविद्यालय में सम्मिलित करने को लेकर राज्यपाल के नामित एसडीएम फूलपुर को सौंपा ज्ञापन
आज़मगढ़।1 नवंबर को विश्वविद्यालय अभियान ने मोहब्बतपुर में विश्वविद्यालय के लिए ख़रीदी गईं भूमि को आज़मगढ़ राज्य विश्वविद्यालय के परिसर में सम्मिलित करने की मांग राज्यपाल को सम्बोधित ज्ञापन अधिग्रहित अधिकारी उपजिलाधिकारी फूलपुर ज्ञान प्रकाश गुप्ता को सौंपा।
प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व कर रही समाजसेवी अनीता द्विवेदी ने कहा कि राजनीतिक खिंचतान और जनपदवासियों के हित दोनों का समाधान यह है कि विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने के साथ-साथ क्रय की गई मोहब्बतपुर की भूमि को भी विश्वविद्यालय परिसर में सम्मिलित किया जाय। मुख्यमंत्री जन कल्याणकारी योजना प्रचार प्रसार अभियान के जिलाध्यक्ष शैलेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री महोदय के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वविद्यालय को लेकर स्थानीय स्तर पर जो प्रशासनिक – राजनीतिक भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है। विश्वविद्यालय अभियान के संयोजक डा0सुजीत श्रीवास्तव भूषण ने कहा कि जनपदवासी विश्वविद्यालय स्थापना के लिये 2019 में आज़मगढ़ मऊ राजमार्ग पर जिला मुख्यालय से मात्र 04 किमी पर स्थित सठियाव ब्लाक के मोहब्बतपुर की अधिग्रहित भूमि को सर्वाधिक उपयुक्त मानते हैं। चरागाह हटाकर इसे भी विश्वविद्यालय परिसर में सम्मिलित किया जाय। सहसंयोजक राकेश गाँधी ने कहा कि आर्थिक-प्रशासनिक- राजनीतिक षड़यंत्र के चलते विश्वविद्यालय को मोहब्बतपुर से हटाकर आज़मबांध ले जाया गया है जिससे जनपदवासी क्षुब्ध हैं। यदि आज़मबांध और मोहब्बतपुर दोनों जगह विश्वविद्यालय के नाम पर अधिग्रहित भूमि को विश्वविद्यालय परिसर में सम्मिलित कर लिया जाय तो यह परिसर 100 एकड़ का हो जायेगा। छात्र नेता अमित कुमार सिंह ने कहा कि शहर के करीब चरागाह और शहर से दूर विश्वविद्यालय ले जाकर जनपद के युवाओं को निराश किया गया है जिसकी तरफ राज्यपाल और मुख्यमंत्री महोदय का ध्यान आकृष्ट किया जायेगा। समाजसेवी शिवबोधन उपाध्याय ने कहा कि जिस गति से मोहब्बतपुर की भूमि को चरागाह घोषित किया गया उसके बाद जिलाधिकारी और चंद जनप्रतिनिधियों की गतिविधियां ठप्प पड़ गईं इससे स्पष्ट होता है कि बदनियति से काम किया जा रहा है।समाजसेवी अजय कुमार सिंह ने कहा कि सबसे ज्यादा गैर जिम्मेदारी वाला काम यह किया गया कि आज़मबांध के चरागाह को उठाकर नगर के करीब स्थित मोहब्बतपुर में बैठा दिया गया। यह चरागाह कहीं और भी तो ले जा सकते थे। जाहिर है मोहब्बतपुर से विश्वविद्यालय हटाना प्राथमिकता थी।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय स्थापना के लिए 2019 में पूर्व जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी ने मोहब्बतपुर की 38 एकड़ ग्राम समाज सहित परिसर और रास्ते के लिए आवश्यक भूमि का अधिग्रहण किया था जिसे बाद में जिलाधिकारी एन पी सिंह और कमिश्नर कनक त्रिपाठी व शासन से आये तमाम अधिकारियों ने भी स्वीकृति प्रदान की थी। वर्तमान जिलाधिकारी राजेश कुमार के कार्यकाल में लगभग 20 करोड़ में शेष भूमि की खरीदारी की गई। किन्तु फ़रवरी 2021 में इस भूमि को लो लैंड बताकर मकरहां, निजामाबाद, जहानागंज में भूमि देखी जाने लगी। इससे जनपदवासियो में जगी आशा की किरण धूमिल पड़ने लगी और विश्वविद्यालय की घोषणा को चुनावी लफ़्फ़ाजी कहने लगे। सरकार की किरकिरी हुई। चार माह पूर्व मुख्यालय से 17 किमी दूर ऑफरूट पर विश्वविद्यालय के लिये आज़मबांध की चरागाह की भूमि को मोहब्बतपुर से अदला बदली कर दिया गया जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ गया। मोहब्बतपुर की भूमि को लो लैंड के नाम पर ख़ारिज किया गया किन्तु आज जितना बरसाती पानी आज़मबांध में लगा है उतना मोहब्बतपुर में भी नहीं लगा है। साथ ही यह भी है कि आज़मबांध में मिट्टी पाटने के लिये 20 करोड़ का टेंडर किया गया है। इतनी ही मिट्टी में मोहब्बतपुर की भूमि भी समतल हो जाती।
आज़मबांध में भूमि अधिग्रहण के चार माह के बाद भी अभी विश्वविद्यालय के लिये रास्ते की भूमि खरीदने और परिसर की भूमि पर पहले से बने 40 पक्के मकान हटाने काम नहीं हुआ। जिस गति से मोहब्बतपुर को चरागाह घोषित किया गया उस गति से इन कार्यों को क्यों नहीं किया गया? और अब घोषणा के तीन वर्षो बाद ज़ब देश के गृहमंत्री विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने आ रहे हैं तो इसे लोग चुनावी कह रहे है।
बैठक में संतोष पाण्डेय, नुरुल हुदा, मंजय यादव, गणेश गौतम आदि उपस्थित रहे।