वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया मोहिनी एकादशी का महत्व।
कुरुक्षेत्र, 19 मई : मारकंडा नदी के तट पर श्री मारकंडेश्वर महादेव मंदिर ठसका मीरां जी में अखिल भारतीय श्री मारकंडेश्वर जनसेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत जगन्नाथ पुरी के सान्निध्य में विजयंत चोपड़ा, माधवी चोपड़ा एवं अन्य परिवार के सदस्यों ने यजमान परिवार के तौर पर मोहिनी एकादशी पूजन करवाया। संत महापुरुषों के साथ विद्वान ब्राह्मणों ने विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ सर्वकल्याण की भावना से यह पूजन सम्पन्न करवाया। इसी अवसर पर रविवार होने के कारण भगवान शिव के परम शिष्य ऋषि मारकंडेय का भी पूजन एवं अभिषेक हुआ। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आज के दिन भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखने से तथा पूजन करने से हर तरह के मोह बंधन से मुक्ति मिलती है और जीवन में तरक्की मिलती है। महंत जगन्नाथ पुरी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार प्राचीन समय में देवता और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। जब इस मंथन में अमृत निकला तो इसे पाने के लिए देवता और दानवों में युद्ध होने लगा। तब भगवान विष्णु ने इसी तिथि पर मोहिनी रूप में अवतार लिया था। मोहिनी रूप में अमृत लेकर देवताओं को इसका सेवन करवाया था। उन्होंने कहा था कि वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी मोहिना एकादशी होती है। जो कि सभी पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से वह मनुष्य संसार की मोहमाया से मुक्त हो जाएगा। इस अवसर पर स्वामी पृथ्वी पुरी, स्वामी संतोषानंद, बिल्लू पुजारी, दर्शन, लक्खा सिंह, नाजर सिंह, दीपक मित्तल, गुरजीत कौर, सोनिया व कांता देवी इत्यादि भी मौजूद रहे।
महंत जगन्नाथ पुरी एकादशी का महत्व बताते हुए।