माँ सरस्वती तीर्थ पिहोवा के श्री गोविन्दानंद आश्रम में मासिक कन्या पूजन भण्डारा आयोजित

हरियाणा संपादक – वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक।
दूरभाष – 94161-91877

एक अकेली कन्या ही दश पुत्रों के समान : महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि जी महाराज।

किसी भी जरूरतमंद कन्या की शिक्षा, चिकित्सा और कन्यादान का खर्च उठाने वाले व्यक्ति को कभी भी संकटों का सामना नही करना पड़ता : महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि।

कुरुक्षेत्र 13 जून : – माँ सरस्वती तीर्थ पिहोवा के श्री गोविन्दानंद आश्रम ठाकुर द्वारा में आज मासिक कन्या पूजन व भंडारा संत महामंडल की अध्यक्ष महामंडलेश्वर 1008 स्वामी विद्या गिरि जी महाराज, षड्दर्शन साधुसमाज के संरक्षक व अनेक राज्यो में स्थापित श्री दक्षिण काली पीठ आश्रमों के परमाध्यक्ष महन्त बंशी पुरी जी महाराज के सानिध्य में आश्रम की महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज द्वारा आयोजित किया गया।
जिसमे महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि जी महाराज, महन्त बंशी पुरी जी महाराज व महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी द्वारा कन्याओं के चरणों को धोकर ,तिलक लगाकर कन्याओं को प्रशाद दक्षिणा सहित वितरित किया गया और आशीर्वाद प्राप्त किया।
महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज ने बताया कि लगभग पिछले 28 वर्षों से हर मास के जेठे रविवार को आश्रम में कन्या पूजन व भण्डारे का आयोजन किया जाता है जिसमे आस पास की काफी संख्या में कन्याएं आश्रम में आती है सभी की सम्मान के साथ पूजा अर्चना की जाती है। इस अवसर पर आश्रम के सह संरक्षक वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, सचिव नरेश गोरा चक्रपाणि व आज भण्डारे के मुख्य यजमान सचिन राय तायल,मनीष जिंदल सिनोर पटियाला, बारू बंसल ,गुलशन पर्वन्दा, शशी कुमार शिवम इत्यादि काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
सभी श्रद्धालुओं ने महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि, महन्त बंशी पुरी व महन्त सर्वेश्वरी गिरि जी महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।
महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि जी महाराज ने एक श्लोक के माध्यम से बताया कि – दशपुत्रसमा कन्या दशपुत्रान्प्रवर्धयन्।
यत्फलं लभते मर्त्यस्तल्लभ्यं कन्ययैकया॥
अर्थात् – अकेली कन्या ही दश पुत्रों के समान है। दश पुत्रों के लालन पालन से जो फल प्राप्त होता है वह अकेले कन्या के पोषण से ही प्राप्त हो जाता है।
महामंडलेश्वर स्वामी विद्या गिरि जी महाराज ने बताया कि जिन व्यक्तियों के यहाँ कन्या नही है वो व्यक्ति किसी भी गरीब जरूरतमंद कन्या को गोद लेकर या उसका शिक्षा चिकित्सा व विवाह का खर्चा उठाकर अपने सोए हुए भाग्य को जगा सकता है और इस पृथ्वीलोक पर अपना जन्म लेना सार्थक कर सकता है।
महन्त बंशी पुरी जी महाराज ने बताया कि एक कन्या का आच्छी तरह से पालन पोषण ही मनुष्य को भवसागर से पार लगा देता है। आज भण्डारे में सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया और प्रशाद ग्रहण किया।

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